दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ जेल में बंद पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके बदले उनकी मुश्किलें बढ़ने के आसार ज्यादा हैं। ऐसा इसलिए कि सोमवार यानी 3 अप्रैल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने एक बार फिर मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। साथ ही अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है। सिसोदिया के लिहाज से चिंता की बात यह है कि इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरों की दलीलों को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सही माना है। बस, यही वो वजह है, जो सिसोदिया के खिलाफ जाता है। यह इस बात के भी संकेत हैं कि सिसोदिया को लंबे समय के लिए जेल में रहना पड़ सकता है। विशेष न्यायाधीश ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक अर्जी पर यह आदेश जारी किया था। सीबीआई ने अपनी दलीज में यह दावा किया था कि घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जांच महत्वपूर्ण चरण में है। ऐसे में अगर उन्हें जमानत मिलती है तो वो केस को प्रभावित कर सकते हैं। दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सोमवार को अदालत में मनीष सिसोदिया को पेश किए जाने के बाद उनकी हिरासत की अवधि 14 दिनों के लिए बढ़ा दी। जबकि मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत सोमवार को समाप्त होने वाली थी। इससे पहले विशेष न्यायाधीश ने शुक्रवार को सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि शराब घोटाला मामले में वह पहली नजर में इसके सूत्रधार दिखाई दे रहे हैं। अदालत ने ये भी माना कि उन्होंने इस घोटाले में अहम भूमिका निभाई थी। दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। मार्च के पहले सप्ताह में उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। उसके बाद ईडी की भी उनसे पूछताछ जारी है। पांच अप्रैल को भी एमके नागपाल की अदालत में सुनवाई होनी है। सिसोदिया पर आरोप है कि साल 2021-22 में उन्होंने शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने और इस कारोबार में लाभ पहुंचाने के लिए दिल्ली आबकारी नीति में जरूरी बदलाव किए। इसके लिए कथित रूप से शराब कारोबारियों ने उन्हें रिश्वत दी थी। ये बात अलग है कि सिसोदिया सहित आम आदमी पार्टी के नेता इन आरोपों को अभी तक खारिज करते आए हैं।