उमेश जोशी
शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए एक अंब्रेला संगठन बनेगा जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कायदे कानून के दायरे में रह कर स्व-नियामक संगठन (सेल्फ रेग्यूलेटरी आर्गनाइजेशन) के तौर पर काम करेगा। यह अम्ब्रेला संगठन शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को सूचना तकनोलॉजी (आईटी) से संबंधित महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा और फंड-आधारित सहायता मुहैया कराएगा।
ताजा आँकड़ों के मुताबिक देश में कुल 1539 शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) हैं।कुल सभी शहरी सहकारी बैंकों का एक संगठन भी है जिसका नाम नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) है।
‘शहरी सहकारी बैंक’ नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि ये बैंक शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कार्य करते हैं। सहकारी बैंकों के सदस्य ही इसके मालिक और ग्राहक होते हैं। “एक व्यक्ति, एक वोट” के सिद्धांत के अनुसार लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित निदेशक मंडल बैंक का प्रबंधन करता है। सहकारी बैंकों से किसानों को कम ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध होता है। कम बैंकिंग सुविधाओं वाले दूरदराज के क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों को धन उधार देना इनके प्राथमिक कार्यों की सूची में शुमार है। 1996 तक इन बैंकों को केवल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए धन उधार देने की अनुमति थी। अब ये बैंक गैर-कृषि क्षेत्र को भी कर्ज दे सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पालन करते हुए सालाना लाभ सहकारी सदस्यों में विभाजित किया जाता है, जिसमें एक हिस्सा वित्तीय भंडार और अन्य संसाधनों के तौर पर रख लिया जाता है।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह का मानना है कि मौजूदा समय में सहकारी समितियों का ही भविष्य है इसलिए आने वाले समय में देश भर के प्रत्येक शहर में कम से कम एक शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) तो होगा ही।
अगले पांच वर्षों में शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के विकास की योजना का उत्साहवर्धक नक्शा तैयार किया गया है। इन बैंकों में मौजूदा जमा राशि 5.5 लाख करोड़ रुपए है जिसे अगले पाँच साल में दोगुना कर 11 लाख करोड़ रुपए करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। लिहाजा, समय की बदलती आवश्यकताओं के मद्देनजर सहकारी समितियों को इसके साथ जुड़ना चाहिए।
भावी विस्तार योजना के लिए व्यावसायिक मूल्यांकन किया जाएगा। आरबीआई अपने बोर्ड में वाणिज्यिक बैंकों की तरह सहकारी क्षेत्र के लिए एक पूर्णकालिक निदेशक को शामिल करने पर विचार कर रहा है।
देश के 1539 शहरी सहकरी बैंकों में सबसे बड़ा सारस्वत बैंक है जो अन्य सहकारी बैंकों के लिए प्रेरणास्रोत है। इस बैंक की छह राज्यों- महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में 294 शाखाएँ हैं और 315 से अधिक एटीएम हैं। मार्च 2023 तक 75,000 करोड़ रुपए से अधिक का कुल कारोबार था।