लालित्य ललित की रचनावली का लोकार्पण कथाकार चित्रा मुद्गल,दिविक रमेश,प्रेम जनमेजय,संजीव कुमार ने संयुक्त तौर पर किया। रचनावली के एक से तेरह खंड इस मौके पर लोकार्पित किए गए।इस मौके पर स्वतंत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड,झारखंड, दिल्ली से प्रकाशित व्यंग्य संग्रह ” पांडेय जी की दिलकश दुनिया” का लोकार्पण किया गया वा इस अवसर पर छाया मत छूना मन संजीव कुमार की कृति भी लोकार्पित की गई
डॉक्टर राजेश कुमार ने कहा लालित्य ललित वर्तमान दौर के सक्रिय रचनाकार है उनकी दृष्टि से कोई भी विषय अछूता नहीं है।वे अपनी रचनाधर्मिता के माध्यम से चर्चा में बने रहते है।
गिरिराज शरण अग्रवाल ने कहा मैं लालित्य ललित को उनके शैशव काल से जानता हूं कि जब यह पता नहीं था कि यह शतक तक पहुंचेंगे! लेकिन ललित जी के पहले व्यंग्य संग्रह का प्रकाशन करने का अवसर साहित्य निकेतन,बिजनौर को मिला।यह खुशी और लेखकीय बैचीनी उनके भीतर है जो उन्हें रचनात्मक बनाएं रखती है,उनका लेखन प्रकाशकों को और पाठकों को पसन्द आ रहा है,यह बेहद खुशी और प्रसन्नता का विषय है।
प्रेम जनमेजय ने अपने उद्बोधन में कहा ललित को मैंने आरंभ से जाना है,यह भी देखा है कि भीतर की बैचेनी उसे रचनात्मक बनाए रखती है,ललित ने अपने को निरंतर बेहतर किया है,इन्होंने लगातार अपने को परिमार्जित किया है,यह बात उनके लेखन पक्ष को भी मजबूती प्रदान करती है और यह प्रतिभा नए रचनाकारों को प्रेरित भी करती है,कहना न होगा ललित ने अपनी पाठशाला का निर्माण किया है,यह अपने परिवेश को देखती है और यही बैचिनी उन्हें मुख्य धारा में खड़ा करती है।यह आधुनिक गेजेट्स का उपयोग करते है और यही क्वालिटी उन्हें मुखर बनाती है।ललित के रचना की ताकत है जिसने अपनी मेहनत से प्रकाशकों को भी अर्जित किया हैं।
मुख्य अतिथि चित्रा मुद्गल ने कहा लालित्य ललित नियमित लेखन कर रहे है और आने वाले समय में भी बेहतर लिखेंगे,उनके विषय नए है जो विसंगतियों को अपनी दृष्टि देते हैंऔर यह दृष्टि एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण करती है,उन्हें आशीर्वाद और शुभकामनाएं कि वे भविष्य में अपने लेखन से नई पीढ़ी को दृष्टि प्रदान करें ताकि वे अपने आपको तात्कालिक परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार हो सकें।
डॉक्टर राकेश पांडेय ने कहा ललित जी ने लेखन ने नई परिभाषा विकसित की है जो उन्हें लोकप्रिय बनाती है।
प्रो रवि शर्मा मधुप ने कहा कि आज का अवसर बड़ा दुर्लभ है और हम सब यहां मौजूद है यह अपने समय को श्रेष्ठ बनाता है और भविष्य के प्रति संभावनाओं को जगाती हैं।
हिंदी अकादमी दिल्ली के पूर्व सचिव,हरिसुमन बिष्ट ने कहा कि लेखक वही है जो खुल पर लिखता है और सहज होता है वही लेखन उन्हें विशिष्ट बनाता है।
युवा रचनाकार स्वाति चौधरी ने कहा लालित्य ललित वर्तमान दौर के नागार्जुन है को सतत लेखन के लिए प्रतिबद्ध है।
साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक दिविक रमेश ने कहा लालित्य ललित में यह बात देखने योग्य है कि वह लेखन से प्रेम करता है,सृजन करता है और किसी की परवाह नहीं करता।उसका नियमित लेखन मुझे पसंद है बतौर पाठक;उसके विषय मेरी भावनाओं के इर्द गिर्द है।
उसकी मौलिक विचारधारा पाठकों को जोड़ती है,शमशेर और त्रिलोचन की ऊष्मा ललित की रचनाओं में नजर आती है।लालित्य ललित की सृजनशीलता उन्हें अपने लेखन में ईमानदार बनाती है,यही खूबी मुझे पसंद है।
सभा में कथाकार हरिसुमन बिष्ट,सुधाकर पाठक,मनोज अबोध,चंद्रप्रकाश रावत, रुबी मोहंती,विजय मल्होत्रा, शैली,विनय माथुर,राजेश मांझी सहित राजधानी दिल्ली के अनेक गण्यमान्य साहित्यकार मौजूद थे