कवित्री उमा त्यागी के काव्य संग्रह ‘बुलबुल की कहानी’ के विमोचन

0

डॉ.हरीश भल्ला

दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेन्टर एनेक्सी में एक पूरी शाम कविता पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी ! मौका था कवित्री उमा त्यागी के काव्य संग्रह ‘बुलबुल की कहानी’ के विमोचन का। साहित्य,पत्रकारिता और प्रशासनिक जगत के बौद्धिक श्रोताओं के बीच मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे लोक मत समाचार समूह के चेयरमैन गुजरात तरह विजय ज़रा जिन्होंने कहा कि हर व्यक्ति में एक कवि छिपा होता है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे बाहर आने का कितना मौका देते हैं।’ यदि आप अपनी आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करना चाहते हैं तो कविताएँ आसानी से निकल आती हैं। कविताएँ समाज का दर्पण होती हैं। वह रास्ता दिखाती है. उमा जी की कविताएँ जीवन के हर पहलू को उजागर करती हैं। इनमें जीवन के विभिन्न पड़ावों को बड़ी आसानी से संग्रहित किया गया है।
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता, दैनिक हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर,वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी, लेखिका और कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत, सामाजिक चिंतक और कला जगत के साथ डॉ. हरीश भल्ला और समय प्रकाशन के प्रबंध निदेशक चंद्रभूषण ने भी कविता पर अपने विचार साझा किये।


डॉ हरीश भल्ला ने विजय दर्डा को नमन किया क्योंकि उनके लोकमत समाचार ने एक अहिंदी भाषी क्षेत्र में राष्ट्रभाषा हिंदी का परचम लहराया है। आज भारत में एक बार फिर हिंदी के माध्यम से सारे प्रदेशों को एक सूत्र में बांधने की आवश्यकता है । उमा त्यागी शब्दों का सितारा हैं और उस इलाक़े की हैं,जहां शब्द शिल्पियों की परंपरा है।जब भी कहीं बिजनौर का नाम लिया जाता है,हमारे सामने ऐसा ही एक कालजई शब्द सितारे की छबि आंखों में तैरने लगती है और वो सितारा है सदाबहार दुष्यंत कुमार ।वे अपनी कविताओं और हिंदी गज़लों से अमर हैं और उमा त्यागी भी उसी बिजनौर से आती हैं। दुष्यंत कुमार भी त्यागी थे और राजपुर नवादा गांव के थे ।उमा दुष्यंत की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं! बुलबुल की कहानी के लिए बधाई। बिजनौर ने भारत को शब्दों के ज़रिए बेहतरीन प्रेम गाथा भी सौंपी है! कितने लोग जानते हैं कि दुष्यंत एवं शकुंतला की ऐतिहासिक प्रेम कहानी भी बिजनौर की धरती से ही निकली है और उनके वंशज भरत के नाम से इस मुल्क का नाम भारत 🇮🇳 पड़ा है । उमा जी ने अपने इस संग्रह के माध्यम से सबको जोड़कर एक प्रेम धारा बहाई है । आज के मशीनी दौर में और इमारतों के जंगल में कविता भी कहीं खो गई है । हमारे दिलों के अहसास सूखी डालियों की तरह हैं और भावनाओं के समंदर में अब ज्वार भाटे नहीं आते ।यह साहित्य के नज़रिए से एक संक्रमण काल है ।जब समाज शब्द संस्कृति का आदर करता है तब संस्कार पैदा होता है ।लेकिन इन दिनों शब्द संस्कृति का आदर तो दूर उसे अपनाने में भी लोग शर्म अनुभव करते हैं। पढ़ने के संस्कार छूटते जा रहे हैं ।ऐसे में हम कौन से सभ्य समाज की रचना करने जा रहे हैं ?इतिहास गवाह है कि जिस समुदाय ने शब्द को ब्रह्म नही माना ,वह पतन के गर्त में चला गया।मगध साम्राज्य में चाणक्य क्या थे, कूटनीति का एक बौद्धिक शिल्पी ही तो थे जिस रामचरित मानस को आज हमारे दिलों में प्रतिष्ठा मिली है ,वह तुलसीदास का शब्द संसार ही तो है। जब महा भारत में अर्जुन ठिठके और सगे संबंधियों का विनाश करने से बचने लगे तो कृष्ण ने अपने शब्द ज्ञान से ही तो उनकी मानसिकता बदली उसी शब्द ज्ञान को हम आज गीता के रूप में जानते हैं
कार्यक्रम में मौजूद विशिष्ट अतिथि अशोक बाजपेई, आलोक मेहता,शशिशेखर, सुप्रिया श्रीनेत ने भी अपने विचार सशक्त रूप से रखकर दर्शकों का मन मोह लिया लोकमत के संपादक विकास मिश्रा का मनमोहक संचालन और आयोजन में प्रमुख भूमिका सभी ने सराही और प्रवीण भागवत की पर्दे के पीछे कि मेहनत रंग लाई। दुष्यंत कुमार ने ठीक ही लिखा था:
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं?
इस संगोष्ठी में प्रस्तुत कविताएँ समाज की जीवनधारा हैं। उनमें सच्चाई का सामना करने और उस सच्चाई को समाज के साथ साझा करने का साहस है। बहुत अच्छा है कि काव्य रचना की दुनिया में इस समय महिलाएँ अग्रणी हैं। उमा त्यागी की कविताएँ एक तरफ प्यार के रंग में रंगी हैं तो दूसरी तरफ गंभीर मुद्दों पर भी चर्चा करती हैं। घने कोहरे को भी रोशनी से भरने की कोशिश करता है lडरावने माहौल में निडर रहना ही कविता का काम है. उमा त्यागी ने अपने रचना संसार को साझा करते हुए कहा कि जीवन में एक पड़ाव ऐसा भी आया जब काला कोहरा छाया था लेकिन रोशनी की उम्मीद ने दस्तक दी। मेरी रचनाएँ उन मील के पत्थर को प्रतिबिंबित करती हैं। हर किसी के जीवन में ऐसा समय आता है. निराश होने की बजाय प्रकाश फैलाना ही मानवीय शक्ति है। मेरी रचनाएँ आम आदमी की अभिव्यक्ति हैं। मैं कण-कण में कविताएँ देखता हूँ।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com