स्वामी हर्षानन्द उर्फ़ डॉ हरीश भल्ला
राम और रावण का युद्ध धर्मयुद्ध था यह तय करना मुश्किल है। क्योंकि तय कौन करे? जो जीत जाता है, इतिहासज्ञ उसकी प्रशंसा में गीत लिखते हैं अगर रावण जीत गया होता, तो क्या तुम सोचते हो, तुम्हारे पास रामायण होती?तुलसीदास,वाल्मीकि की? भूल जाओ। अगर रावण जीता होता, तो रामायण तुम्हारे पास नहीं हो सकती थी। और अगर रावण जीता होता, तो तुम्हारे पंडित, पुरोहित ,कवि, इन सबने उसकी स्तुति में उसके गीत गाए होते।और तुम्हारे मंदिरों में राम की जगह रावण की प्रतिमा होती,और दशहरे के दिन तुम रावण को नहीं, राम को जलाते।तुम्हें मेरी बात बहुत चौंकाने वाली लगेगी। लेकिन मेरी भी मजबूरी है। सत्य ऐसा ही है। जो जीत जाता है, उसकी स्तुति करने वाले लोग खड़े हो जाते है हमारे पास एक बहुमूल्य कहावत है: सत्यमेव जयते। भारत ने तो उसको अपना राष्ट्रीय प्रतीक बना लिया है–सत्यमेव जयते। सत्य की सदा विजय होती है। ऐसा होना चाहिए। मेरा भी मन ऐसा ही चाहता है कि ऐसा हो कि सत्य की सदा विजय हो। यह हमारी अभीप्सा है, आकांक्षा है मगर ऐसा होता नहीं। यह तथ्य नहीं है, यह परिकल्पना है। यह उटोपिया है, आदर्श है, तथ्य नहीं। तथ्य तो ठीक उलटा है। तथ्य तो यह है–जिसकी जीत होती है, उसको लोग सत्य कहते हैं।चिकमगलूर में चुनाव के पहले इंदिरा गांधी और उनके विपरीत जो उम्मीदवार खड़ा था वह, सभी शंकराचार्य के दर्शन करने गए। इंदिरा गांधी को भी उन्होंने आशीर्वाद दिया और विरोधी उम्मीदवार को भी आशीर्वाद दिया l किसी पत्रकार ने शंकराचार्य को पूछा कि आपने दोनों को आशीर्वाद दे दिया, यह कैसे हो सकता है? अब जीतेगा कौन? तो उन्होंने कहा, सत्यमेव जयते। जो सत्य है वह जीतेगा।इतना आसान नहीं है मामला। यहां तो जो जीत जाता है, वही सत्य हो जाता है। जो हार गया, वह असत्य हो जाता है। यहां हारना पाप है; यहां जीतना पुण्य है।अगर रावण जीत गया होता, तो तुम्हारे पास कहानियां ही बिलकुल भिन्न होतीं,उनमें राम की निंदा होती और रावण की प्रशंसा होती।और तुम ही उन्हीं कहानियों को दोहराते, उन्हीं को सुनते बचपन से।अभी तुम राम की प्रशंसा सुनते हो, रावण की निंदा। उसी को तुम दोहराए चले जाते हो।
अडोल्फ हिटलर अगर जीत जाता, तो क्या तुम सोचते हो, इतिहास ऐसा ही लिखा जाता जैसा लिखा गया? तब अडोल्फ हिटलर इतिहास लिखवाता। तब उसमें दुनिया के सबसे बड़े शत्रु होते चर्चिल, रूजवेल्ट, स्टैलिन।तब अडोल्फ हिटलर दुनिया का बचावनहारा होता–सारी दुनिया का रक्षक;आर्य-धर्म का स्थापक और उसको प्रशंसा करने वाले लोग सारी दुनिया में मिल जाते।उसकी प्रशंसा करने वाले लोग थे, जब वह जीत रहा था। सुभाष बोस जैसा व्यक्ति भी उससे बहुत प्रभावित था, जब वह जीत रहा था। कौन प्रभावित नहीं था! विजय से लोग प्रभावित होते हैं