समाजवादी चिंतक मधु दंडवते की 101वीं जयंती के अवसर पर परिसंवाद संपन्न
अरूण श्रीवास्तव
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, गोवा मुक्ति आंदोलन के नेता, पांच बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री, समाजवादी चिंतक मधु दंडवते की 101वीं जयंती के अवसर पर कमला देवी चट्टोपाध्याय मल्टीपर्पस हॉल, नई दिल्ली में ‘भारत में रोजगार संकट और सरकार की जवाबदेही’ विषय पर आईटीएम विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलाधिपति रमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में परिसंवाद आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा ने संबोधित किया।
परिसंवाद को संबोधित करते हुए मधु दंडवते फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं समाजवादी समागम के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि मधु दंडवते देश की राजनीति में ऐसे गिने चुने नेताओं में से थे जो जीवन के अंतिम समय में मुंबई में एक कमरे के मकान में रहे। उन्होंने अपना देहदान मुंबई के जे जे अस्पताल को किया।
अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि मधु दंडवते फाउंडेशन के द्वारा मधु दंडवते जन्म शताब्दी के अवसर पर देशभर में 40 कार्यक्रम आयोजित किये गये तथा फाउंडेशन द्वारा ‘स्वतंत्रता आंदोलन एवं गांधीजी’ विषय पर गोरखपुर के 150 स्कूलों के 15,000 छात्र-छात्राओं की निबंध और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई।
राष्ट्र सेवा दल के 6 शिविर भी आयोजित किए गए।
मुख्य वक्ता प्रो. संतोष मेहरोत्रा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा अपनायी गई आर्थिक नीति के चलते देश में असमानता उच्चतम स्तर पर चली गई है। योजना आयोग बंद हो जाने के बाद विकास दर में भारी कमी आयी है। भारत को विकसित राष्ट्र बनने के लिए जो कुछ करना है उसके लिए 15 वर्ष ही भारत के पास है।
उन्होंने कहा कि मधु दंडवते जी विकेंद्रित अर्थव्यवस्था के माध्यम से देश को समता और समृद्धि के पथ पर ले जाना चाहते थे।
उन्होंने कहा कि मोदी जी ने किसानों की आय दोगुनी करने का वायदा किया था लेकिन वास्तविक तौर पर आय घट गई है। उन्होंने कहा कि सरकार एमएसपी को लेकर भ्रम फैलाती है। वास्तविक तौर पर सरकार पर कुछ लाख करोड़ नहीं, कुछ हजार करोड़ का ही बोझ पड़ने वाला है।
उन्होंने कहा कि अभी भारत को युवा देश कहा जा रहा है लेकिन यह तथ्य कम लोग जानते और बोलते हैं कि 15 सालों बाद हमारे देश में भी बुजुर्गों की संख्या युवाओं की संख्या से ज्यादा हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। यही कारण है कि बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है।
भाषण के बाद प्रश्न उत्तर हुए।
अध्यक्षीय भाषण देते हुए रमाशंकर सिंह ने कहा कि आमतौर पर जब अर्थशास्त्री बोलते हैं या कोई आर्थिक विश्लेषण किया जाता है तब उसका केंद्र बिंदु पूंजी होती है लेकिन आमतौर पर जो वंचित तबके के लोग, जो रोजगार न मिलने के चलते कुंठित, अवसाद ग्रस्त हो जाते है या आत्महत्या कर लेते हैं, तब उनके परिवार वालों के बारे में कभी कोई चिंता नहीं की जाती, आंकड़ों में शायद उनकी कभी गिनती भी नहीं होती।
परिसंवाद में हिंद मजदूर सभा के नेता महेंद्र शर्मा, वरिष्ठ समाजवादी बृज खंडेलवाल, किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीलम, समाजवादी नेत्री मंजू मोहन, जदयू के एमएलसी अफाक अहमद खान, कांग्रेस प्रवक्ता अनुपम, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय महामंत्री तहसीन अहमद, सोशलिस्ट पार्टी दिल्ली के अध्यक्ष अभय सिन्हा, जदयू के राष्ट्रीय सचिव निसार, भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार, गांधी पीस फाउंडेशन के पूर्व राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र कुमार, प्रो. डीके गिरी, नेपाल के संविधान सभा के सदस्य रहे विश्वेंद्र पासवान, किसान संघर्ष समिति के सीधी सिंगरौली क्षेत्र संयोजक निसार आलम अंसारी मौजूद थे।