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मध्यप्रदेश में बीजेपी बेशक बड़ी जीत के साथ सत्ता में आने में कामयाब हुई हो लेकिन पर्ची से मुख्यमंत्री बने मोहन यादव कार्यकाल के 1 वर्ष में ही बीजेपी लोगों की दिल से उतरती नज़र आने लगी है। मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था ठप्प हो चुकी है। मोहन यादव के भ्रष्टाचार ने शिवराज सिंह चौहान का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। गाँव से लेकर राजधानी तक बीजेपी के गुंडे लूट खसोट और संगीन अपराधों में लिप्त नज़र आ रहे हैं। मुख्यमंत्री इस जंगलराज के मूक दर्शक और मौन समर्थक बनकर मलाई लूटने में मस्त हैं।
नर्सिंग घोटाले ने शिवराज के व्यापम घोटाले को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान और पूर्व परिवहन मंत्री के चमचे गाड़ी भरकर सोना और करोड़ों की नकदी के साथ पकड़े जा रहे हैं। लोकायुक्त पुलिस इन्हें सरकारी दामाद बनाकर रिश्वत में हिस्सेदारी के लिए लालायित है।
▪️ मुख्यमंत्री मोहन यादव पर उज्जैन मास्टर प्लान में बड़े पैमाने पर हेराफेरी कर अपनी 29 एकड़ जमीन सिंहस्थ के लिए रिजर्व जमीन से मुक्त करने का आरोप है।
▪️ उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और ड्रग माफिया हरीश आँजना के रिश्तों ने साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश में ड्रग्स का अवैध धंधा सरकारी संरक्षण में चल रहा है।
▪️ उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला नर्सिंग घोटाले के साथ साथ ज़मीन घोटालों का भी केन्द्र बने हुए हैं। समदडिया बिल्डर के साथ करोड़ों के लेन देन के बाद अब सरकारी जमीन को ओने पौने दामों में बेचकर कमीशन खोरी की जा रही है।
▪️ परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत परिवहन घोटालों के साथ साथ सागर जिला निवासी मान सिंह पटेल की हत्या/अपहरण के भी संदिग्ध बने हुए हैं। आरोप है कि अपहृत/मृत ओबीसी नेता की जमीन कथित मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने हड़प ली है।
▪️ विश्वास सारंग देश के सबसे बड़े नर्सिंग घोटाले के मास्टर माइंड हैं। इस नर्सिंग घोटाले ने देश प्रदेश के लाखों युवाओं का जीवन निगल लिया है। विश्वास सारंग अपेक्स बैंक भर्ती घोटाले के भी आरोपी हैं।
▪️ विश्वास सारंग पर आरोप है कि अपेक्स बैंक की भर्ती की प्रक्रिया में बड़ा घोटाला हुआ है और बिना अंकों के सीधे अपने चहेतों की इंटरव्यू से मेरिट लिस्ट जारी कर भर्ती की गई है।
▪️ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर कृषि विस्तार अधिकारी की परीक्षा की ज़िम्मेदारी ब्लैकलिस्टेड कंपनी को देने और अपने क़रीबियों को अवैध तरीक़े से टॉपर बनाकर नियुक्ति देने का आरोप है।
ये तो कुछ मामले हैं…बीजेपी के हर मंत्री ने घोटालों का शतक एक साल में ही पूरा कर लिया है। मध्यप्रदेश घोटालेबाज़ों के शिकंजे में है। हर मंत्री सुबह से शाम तक पैसा कमाने की कोशिश और तरकीब में व्यस्त है। अफसर और मंत्री ने भ्रष्टाचार के लिए गुप्त गठबंधन कर लिया है। जांच एजेंसियाँ नक़ली कार्यवाही और असली कमीशनखोरी में लिप्त है। हर तरफ़ जंगलराज की गूंज है।