
डा. हरीश चंद्र लखेड़ा
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बाद उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक और बड़ा फैसला किया है। उत्तराखंड में दंत विहीन हो चुके भू कानून को सख्त बना दिया गया है। अब प्रदेश के पहाड़ी 11 जिलों में गांव की जमीन को खरीदना आसान नहीं होगा। प्रदेश के उत्तराखंड के इन जिलों में नगर निकाय क्षेत्र को छोड़कर गांवों की भूमि को अब बाहरी लोग आसानी से नहीं खरीद सकेंगे। नियमों के विरुद्ध भूमि खरीदने पर सरकार उसे जब्त कर लेगी।
जन दबाव के चलते प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी भू कानून को सख्त बनाने पर मजबूर हुई है। लंबे समय से लोग इसके लिए आंदोलन भी कर हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कठोर भू कानून की मांग रहे थे। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में संशोधित भू-कानून को मंजूरी दी गई। धामी सरकार ने वर्ष 2021 में भू-कानून को लेकर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने वर्ष 2022 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी।
इसी रिपोर्ट के आधार पर धामी सरकार ने यह फैसला किया। धामी सरकार इस कानून से संबधित विधेयक को बजट सत्र में पेश करेगी। इसके तहत 2018 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में बने भू कानून के पुराने सभी प्रावधान समाप्त कर दिए गए हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने उद्योगों के नाम पर गांवों की 12.5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीदने की अनुमति दे दी थी। जबकि कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी सरकार ने उत्तराखंड में नगर निकाय क्षेत्र से बाहर यानी ग्रामीण क्षेत्र में 250 वर्ग मीटर भूमि बिना अनुमति खरीदने का कानून बनाया था। यानी उत्तराखंड में मौजूदा अब तक के भू कानून के तहत नगर निकाय क्षेत्र के बाहर कोई भी व्यक्ति 250 वर्ग मीटर तक जमीन आवास के लिए बिना अनुमति के खरीद सकता था। जबकि त्रिवेंद्र रावत सरकार के फैसले को बाद तो उत्तराखंड के गांवों की भूमि को खरीदने की बंदरबांट शुरू हो गई। कई बाहरी लोगों ने अपने ही परिवार के सदस्यों के नाम से 12.5 एकड़ के हिसाब से बहुत कृषि भूमि जमीनें खरीद लीं थी।
बाहरी व्यक्तियों को भूमि आसानी से खरीदने में छूट दी गई थी, जिसे अब खत्म कर दिया गया है। हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर उत्तराखंड के अन्य 11 जिलों में बाहरी व्यक्तियों के लिए हॉर्टिकल्चर और कृषि भूमि की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गांवों की भूमि तभी बिक पाएगी जब सरकार अनुमति देगी। अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। उनके अधिकार कम कर दिए गए हैं। इसके बजाय सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से सभी भूमि खरीद की प्रक्रिया होगी। यह भी प्रावधान है कि जिस उद्देश्य से भूमि खरीदी गई है,खरीदी जाएगी। यदि वैसा उपयोग नहीं किया तो सरकार उसे जब्त कर लेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साल 2024 के सितंबर महीने में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का खुलासा किया था कि वह एक सख्त कानून लेकर आएंगे, जिससे उत्तराखंड के पहाड़ों की जमीन की हो रही बेलगाम खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई जा सके.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
अब उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्त भी की जाएगी। इससे भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों को व्यवस्थित रूप से जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।राज्य में जमीन खरीद की प्रक्रिया पारदर्शी रखने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जाएगा। इस पोर्टल पर राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति की ओर से भूमि खरीद दर्ज की जानकारी होगी। उसकी निगरानी की जाएगी। राज्य के बाहर के व्यक्तियों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा। इससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं पर रोक लगेगी। सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी। इससे सरकार को भूमि की खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण मिलेगा। नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग सिर्फ निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा। यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ भूमि का उपयोग किया तो वह जमीन सरकार जब्त कर लेगी।
दरअसल, उत्तराखंड राज्य बनने पर वहां उत्तर प्रदेश का ही भू-कानून लागू किया गया था। तब भूमि के क्रय-विक्रय पर कोई प्रतिबंध न होने के कारण जमीनों का धंधा आसमान छूने लगा तो भू-कानून को सख्त कानून बनाने की मांग उठी। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ने ही कानून को सख्त बनाने की बजाए उसे दंत विहीन बना दिया।
प्रदेा की पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार ने वर्ष 2003 में बाहरी व्यक्तियों के लिए आवासीय उपयोग के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की सीमा तय कर दी। वर्ष 2007 में खंडूरी सरकार ने बाहरी व्यक्तियों के लिए 500 वर्ग मीटर भूमि खरीद की अनुमति घटाकर 250 वर्ग मीटर की गई। त्रिवेंद्र सरकार ने वर्ष 2018 में व्यावसायिक व औद्योगिक प्रयोजन के लिए 12.5 एकड़ तक कृषि भूमि खरीद की अनुमति देने का अधिकार डीएम को दिया था।