
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पूर्व सदस्य, भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय हरियाणा की पूर्व कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (IGNOU) की प्रो. वाइस चांसलर, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेन्द्रगढ़ की पूर्व प्रो.वाइस चांसलर व अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवॉर्ड से सम्मानित प्रोफेसर सुषमा यादव को दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ( Executiv Council ) में विजिटर नॉमनी के रूप में नियुक्त किया गया है। प्रोफेसर सुषमा यादव दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर भी रही हैं। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (शिक्षक संगठन) के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने प्रोफेसर सुषमा यादव को दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल में विजिटर नॉमनी नियुक्त किए जाने पर बधाई और शुभकामना दी हैं। डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि उनकी नियुक्ति से दिल्ली विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शोध के क्षेत्र में युगांतकारी परिवर्तन होगा, इससे पहले भी शिक्षा तथा शोध उनकी प्राथमिकता में रहे हैं।
फोरम के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि प्रोफेसर सुषमा यादव ने अपनी उच्च शिक्षा दौलतराम कॉलेज(दिल्ली विश्वविद्यालय) से पूर्ण करने के बाद राजनीति विज्ञान विभाग से पीएचडी करने के उपरांत दिल्ली विश्वविद्यालय में ही चार दशक तक प्राध्यापक के रूप में अध्यापन किया है। उसके बाद ये आईआईपीए में डॉ. अम्बेडकर चेयर की चेयरपर्सन रही हैं, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सदस्य के तौर पर कार्य किया है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (IGNOU) में प्रो.वाइस चांसलर रहीं तत्पश्चात हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ में भी प्रो.वाइस चांसलर के पद को सुशोभित किया है। इन्हें राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डॉ.भीमराव अंबेडकर अवॉर्ड, अंतर्राष्ट्रीय सावित्रीबाई फुले अवॉर्ड के अतिरिक्त शिक्षा व समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
डॉ. हंसराज सुमन ने प्रोफेसर सुषमा यादव के कार्यों का उल्लेख करते हुए बताया कि यूजीसी में सदस्य रहते हुए आपने कॉलेजों में प्रोफेसरशिप व शिक्षकों की पदोन्नति के लिए विशेष कार्य किया, जिससे कि पदोन्नति की प्रक्रिया आसान हुई है। शैक्षिक जगत में सक्रिय रहते हुए प्रोफेसर सुषमा यादव ने शिक्षा की गुणवत्ता और रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किया है, आधुनिक वैज्ञानिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की संभावना को देखते हुए इन्होंने भारत सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिस पर सरकारी महकमें में अमल किया गया। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करना, उन्हें शिक्षा संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराकर आगे बढ़ने के अवसर देना। इसके लिए उन्होंने ऐसे पाठ्यक्रम शामिल करवाए जो बालिकाओं के लिए उपयोगी हों। उच्च शिक्षा में नए - नए प्रयोगों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने जैसे सुधार में इनकी अहम भूमिका रही हैं। दलित और पिछड़े समाज के सामाजिक न्याय के लिए भी प्रोफेसर सुषमा यादव संघर्ष करती रही हैं।
सामाजिक न्याय को लेकर बेबाकी रखती है --- डॉ. हंसराज सुमन के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में एकेडेमिक काउंसिल की मेंबर रहते हुए प्रोफेसर सुषमा यादव ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता रखते हुए राजनैतिक और व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर सामाजिक न्याय के लिए काम किया है। इन्होंने राष्ट्रीय मंचों पर दलित, पिछड़े वर्गों की आवाज को बेबाकी से उठाया है। डॉ.अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले तथा उच्च शिक्षा में दलित, पिछड़ों की भागीदारी पर देशभर के विश्वविद्यालयों / शिक्षण संस्थानों में व्याख्यान देती रही हैं। इन्होंने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें, पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों लेख के अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सामाजिक न्याय के प्रश्नों को पुरजोर तरीके से रखा है।
कार्यों के अनुभवों का मिलेगा लाभ – डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि प्रोफेसर सुषमा यादव ने कभी भी सामाजिक न्याय के सवालों पर समझौता नहीं किया है। इन्होंने हमेशा समाजिक हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य किया है और फोरम को विश्वास है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में भी वे सामाजिक न्याय का ध्यान रखते हुए दलितों और पिछड़ों के हित में कार्य करती रहेंगी। दिल्ली विश्वविद्यालय उनकी शिक्षा और अध्यापन की कार्यस्थली रहा है वे इसके माहौल से पूरी तरह परिचित रही हैं अतः यहाँ वे अपनी पूर्व परिचित भूमिका के अनुरूप कार्य करती रहेंगी। उन्हें विश्वविद्यालय के विजिटर नॉमनी का जो दायित्व सौंपा गया है अपने अनुभवों से और बेहतर कार्य से उसका निर्वाह करेंगी।