
मोहन राकेश की जन्मशती पर विशेष
हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार मोहन राकेश की जन्मशती के अवसर पर उनके लिखे चर्चित नाटक आषाढ़ का एक दिन का नाट्य-मंचन श्रीराम सेंटर सभागार, सफ़दर हाशमी मार्ग, मंडी हाऊस, नई दिल्ली में किया गया l नाटक के अरविन्द सिंह चंद्रवंशी हैं l यह प्रस्तुति सुमुखा रंगमंडल के कलाकारों द्वारा की गई l
आषाढ़ का एक दिन मोहन राकेश द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध हिन्दी नाटक है, जो संस्कृत कवि कालिदास के जीवन पर आधारित है। यह नाटक तीन अंकों में विभाजित है और प्रेम, कर्तव्य, और त्याग की कहानी प्रस्तुत करता है।
कहानी का मुख्य पात्र कालिदास एक प्रतिभाशाली लेकिन सरल स्वभाव का कवि है, जो प्रकृति से प्रेम करता है और गाँव की एक युवती मल्लिका से सच्चा प्रेम करता है। मल्लिका भी उसे बेहद चाहती है और उसकी कला की प्रशंसा करती है।
एक दिन, उज्जयिनी से कुछ राजदूत आते हैं और कालिदास को राजा का दरबारी कवि बनने के लिए आमंत्रित करते हैं। मल्लिका उसे रोकने की कोशिश करती है, लेकिन कालिदास अपने कर्तव्य और प्रतिष्ठा की चाह में उज्जयिनी चला जाता है।
दूसरा अंक कालिदास की उज्जयिनी में सफलता को दिखाता है। वह राजा के दरबार में सम्मानित होता है और राजकुमारी से विवाह कर लेता है। लेकिन इस वैभव और राजसी जीवन में वह अपने मूल स्वभाव और सच्चे प्रेम से दूर हो जाता है।

तीसरा अंक सालों बाद का दृश्य दिखाता है। मल्लिका अब अकेली और दुखी है। उसने अपने प्रेम को त्याग कर जीवन को अपनाया है। कालिदास, जो अब आंतरिक रूप से दुखी और खोया हुआ महसूस करता है, मल्लिका से मिलने लौटता है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। मल्लिका उससे मिलने से इनकार कर देती है, और कालिदास अकेलेपन में चला जाता है।
“आषाढ़ का एक दिन” नाटक प्रेम और कर्तव्य के द्वंद्व को दर्शाता है और कालिदास के माध्यम से यह सवाल उठाता है कि क्या वास्तविक सफलता बाहरी वैभव में होती है या आंतरिक संतोष में।
कालिदास की भूमिका में हिमांशु हिमानिया
मल्लिका – शिवानी यादव, अम्बिका – मीता मिश्रा, विलोम – अविनाश सिंह तोमर, निक्षेप – शिवम पाल, मातुल – फ़ैज़ान, प्रियंगुमंजरी – खुशबू, रंगीनी – अभिषेक, संगिनी – छवि , दंतुल – प्रतीक, अनुस्वार – विपिन यादव और अनुनासिक की भूमिका में आलोक थे l
संगीत संचालन – प्रतीक और अभिषेक का था l प्रकाश परिकल्पना धीरेन्द्र कुमार की थी l नाटक की अवधि एक घंटा पैंतीस मिनट की है l
कार्यक्रम के अन्त में हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव संजय कुमार गर्ग ने सभी अतिथियों, कलाकारों और कला एवं संस्कृति-प्रेमी दर्शकों का आभार व्यक्त किया l