
अनन्त मित्तल
देश में कम से कम 5000 शहर ऐसे हैं जिन्हें अब तक नगर के रूप में सरकारों ने अधिसूचित ही नहीं किया और उसके बग़ैर नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना नामुमकिन है। पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को जीरो यानी शून्य तक घटा देने का लक्ष्य भारत और पूरी दुनिया को साल 2050 तक हासिल करना है । इसके लिए भारत में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन तेजी से बढ़ाने और वाहनों, कृषि,कूड़े तथा गंदे पानी से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन आदि गैसों का उत्सर्जन रोकने के उपाय बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। फिर भी नई इमारतों सहित हरेक स्तर पर कार्बन का उत्सर्जन घटाने के उपायों को लागू करना ज़रूरी है और ऐसा नए शहरों को अधिसूचित करके तैजी से किया जा सकता है। ये निष्कर्ष है जी ए सी एस यानी ग्लोबल एसोसिएशन फॉर कॉर्पोरेट सर्विसेज की सदारत में गुरुग्राम में शनिवार को हुई संगोष्ठी का।
इसमें टेरी से राजीव नेहरू, आर आई सी एस से अश्वनी अवस्थी, एल एंड टी से संजय सेठ, ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट और इंटरग्लोब से जूही मिश्रा ने अपनी बात रखी।
राजीव नेहरू ने कहा कि हरेक नागरिक को प्रदूषण नियंत्रण प्रक्रिया में शामिल किए बिना नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करना असंभव है ।संजय सेठ ने कहा कि हम जितना प्रदूषण कर रहे हैं उसको सटीक मापना आवश्यक है । उसे मापे बिना उत्सर्जन रोकने की रणनीति नहीं बनायी जा सकती। संजय सेठ ने बताया कि नई टाउनशिप में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के मानकों और प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में भारी अंतर है । उनके अनुसार प्लांट तो 165 लीटर प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के हिसान लगाते हैं जबकि पाइप से उपलब्ध पानी की मात्र 75 लीटर प्रति व्यक्ति ही है ।
आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के प्रवीण भारद्वाज ने बताया कि देश में कुल 4900 शहरों को अधिसूचित करके नगरीय मान्यता दी गई है। मान्य नगरों में नगर पालिका या नगर निगम हैं जिनमें निर्वाचित जनप्रतिनिधित्व है। इसलिए इन नगरों में कूड़े के संग्रह और गंदे पानी यानी सीवेज आदि के निस्तारण आदि की व्यवस्थित प्रक्रिया लागू है। लेकिन नोएडा, ग्रेटर नोएडा जैसे 5000 शहरों को अभी तक नगर के रूप में अधिसूचित ही नहीं किया गया जो नेट जीरो लक्ष्य पाने में बड़ा रोड़ा है। उन्होंने बताया की नेट जीरो की मुहिम में व्यवस्थित नगरों के आसपास उगाने वाली अवैध कॉलोनियों में स्वच्छता संबंधी उपाय लागू करना भी ज़रूरी है। उन्होंने नगरों में सार्वजनिक परिवहन सुविधा बड़े पैमाने पर बढ़ा कर निजी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकना भी नेट जीरो के लिए महत्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम में दो विशिष्ट महिलाओं डॉ अभिलाषा गौड़ और नेहा सेठी को उनके काम के लिए समीर सक्सेना और राहुल लाल द्वारा सम्मानित किया गया। जीएसीएस ने इससे पूर्व जॉब फेयर में 80 लोगों को नौकरी का नियुक्ति पत्र भी दिया।