
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज के तत्वावधान में तीन दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम ( कल्चर फेस्ट ) महक –2025 का विधिवत उद्घाटन बृहस्पतिवार को सेमिनार हॉल में प्राचार्य प्रोफेसर अरुण चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया । कार्यक्रम के पहले दिन नुक्कड़ नाटकों के मंचन की धूम रही । कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अरुण चौधरी ने अपने उद्बोधन में प्रतियोगिता में आई टीमों को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक जागरूकता के लिए नुक्कड़ नाटकों का खेला जाना बहुत उपयोगी है। स्वास्थ्य और पर्यावरण पर सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएँ नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को जागरूक करती है। किसी भी समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए और जनता को वास्तविक स्थिति से परिचित कराने के लिए सरकार नुक्कड़ नाटकों का सहारा लेती है। नुक्कड़ नाटक केवल प्रचार का माध्यम नहीं हैं बल्कि ये नाटक लोगों को शिक्षित भी करते हैं। प्राचार्य ने सभी प्रतिभागी टीमों को अपनी ओर से शुभकामना देते हुए मोक्ष के संयोजक डॉ. हंसराज सुमन व डॉ.अनिता को कार्यक्रम की बेहतर शुरुआत के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया ।
मोक्ष नाट्य संस्था के संयोजक डॉ. हंसराज सुमन ने प्रतिभागी टीमों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नुक्कड़ नाटकों का प्रचलन कम होता जा रहा है। जबकि आज के समय में जागरूकता और शिक्षा अभियान के लिए नुक्कड़ नाटकों की बहुत आवश्यकता है। आधुनिक युग में नुक्कड़ नाटकों का प्रचलन जन जागृति के लिए जन आन्दोलनों के रूप में किया जाता रहा है। वर्तमान समय में आधुनिकता और गतिशील जीवन शैली के कारण नुक्कड़ नाटकों के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है। गली और चौराहों पर नुक्कड़ अल्पावधि में खेले जाने वाले नाटकों की रोचकता कम नहीं हुई है परंतु लोगों का घरों में सिमट कर रह जाना एवं सामाजिक जीवन की शिथिलता ने नुक्कड़ नाटकों को उपेक्षित कर दिया है। नेटफ्लिक्स पर ओटीटी व लघु फिल्मों के प्रसारण के कारण भी लोगों की रुचि नुक्कड़ नाटकों में कम हुई है। बावजूद इसके नुक्कड़ नाटकों के कारण समाज में बहुत बड़ा बदलाव आया है । कोरोना के बाद लोगों ने अपने यूट्यूब चैनल बनाकर लघु फिल्मों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया है जिससे समाज में बदलाव हुआ है।

डॉ.सुमन ने मोक्ष संस्था की ऐतिहासिक महत्व को बताते हुए यह भी बताया कि विभिन्न विश्वविद्यालयों / कॉलेजों की 50 से अधिक नाट्य संस्थाओं ने पंजीकरण कराया था लेकिन अंत में 17 टीमों को प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया । नुक्कड़ नाटकों की इस प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में प्रोफेसर कैलास प्रकाश सिंह , श्री नक्षत्र सचदेवा , डॉ.मनप्रीत कौर व संयोजिका डॉ. अनिता के अलावा महक सांस्कृतिक महोत्सव की संयोजक प्रोफेसर वंदना भल्ला , प्रोफ़ेसर संगीता कौल , प्रोफेसर रश्मि माथुर , डॉ.पूनम जैन , प्रो.विनय सिंह , डॉ.पी.पी. सिंह , डॉ.अभिनव प्रकाश , डॉ.शौरभ कुमार व मोक्ष के अध्यक्ष सार्थक भारद्वाज , उपाध्यक्ष आयु दत्ता , महासचिव प्रिया सिंह , कोषाध्यक्ष कार्तिक गुलाटी , प्रचार सचिव दीक्षा लाम्बा के अलावा विभिन्न कॉलेजों के सैंकड़ों छात्र उपस्थित थे।
नुक्कड़ नाटकों के निर्णायक मंडल के मुख्य सदस्य प्रोफेसर कैलाश प्रकाश सिंह ने कहा कि विजेता टीम की घोषणा 29 मार्च को की जाएगी। विजेताओं को यह पुरस्कार महक सांस्कृतिक महोत्सव कार्यक्रम के अंतिम दिन दिया जाएगा । इस अवसर पर प्रोफेसर सिंह ने नुक्कड़ नाटकों पर विस्तृत जानकारी देते हुए अपने संबोधन में कहा कि नुक्कड़ नाटक हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। ये नाटक सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं है बल्कि शिक्षा, जागरूकता का माध्यम भी रहे हैं। साथ ही नुक्कड़ नाटक के द्वारा कोई समुदाय और समाज अपनी मांग और समस्याएँ आसानी से सरकार तक पहुंचा सकती हैं। सूचना, जागरूकता और संदेश देने वाले नुक्कड़ नाटक सरकार और समाज के बीच बातचीत और समस्याओं के समाधान का उत्तम माध्यम रहे हैं। नुक्कड़ नाटक विधा को जीवित रखने के लिए आवश्यक है कि नाटक और रंगमंच को पाठ्यक्रमों में लगाया जाना और रंगमंच पर अभिनय के लिए कलाकारों को तैयार करना चाहिए ताकि नुक्कड़ नाटक महानगरों तक ही सीमित न रहें। नुक्कड़ नाटकों के द्वारा गांवों, कस्बों में पहुंचकर युवा पीढ़ी को शिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि नुक्कड़ नाटकों पर बहुत कम शोध कार्य हो रहे हैं विश्वविद्यालयों की शोध समिति को इस ओर ध्यान देना चाहिए तभी नुक्कड़ नाटकों के प्रति लोगों में रुचि बढ़ेगी ।
कार्यक्रम के समाप्ति पर डॉ. सुमन ने बताया है कि नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में शामिल सभी टीमों ने अलग-अलग विषयों को केंद्र में रखकर दर्शकों का मनोरंजन किया । नुक्कड़ नाटक की प्रतियोगिता के अंत में डॉ. अनिता कुमारी ने सभी टीमों के कलाकारों व उनके साथ आए साथियों का धन्यवाद किया ।