
अक्षय की मेहनत पर सेंसर ने ढाया सितम
बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड होगा अक्षय के नाम
रेटिंग: 4 स्टार
डिलाइट गोल्ड सहित अन्य सिनेमाओ में
चंद्र मोहन शर्मा
सीनियर फिल्म क्रिटिक
इस फिल्म को देखने के बाद जेहन में यह सवाल जरूर आएगा कि आजाद भारत के सेंसर बोर्ड को फिल्म में ऐसा क्या नागवार गुजरा की फिल्म को A एडल्ट सर्टिफिकेट के साथ पास किया, मुझे लगा फिल्म में जलियांवाला बाग में अंग्रेजी फ़ौज के जुल्म, बच्चों, महिलाओ और वृद्धों पर गोलियों की बौछार बहता खून, एक के ऊपर गिरती लाशे और फिर यहां बने कुएं में जान बचाने की खातिर बेगुनाहों और फिर जान गवा देने वाले सीन्स को ऐसे असरदार और दिल को झकझोर करने यहीं सीन ही शायद सेंसर को खटके और मेकर को इन सींस की लंबाई कम करने के बाद सेंसर कमेटी ने UA प्रमाणपत्र देने का भी ऑफर दिया जिसे मेकर्स ने कबूल नहीं किया और अब देश भक्ति का पाठ पढ़ाती इस फिल्म को 18 साल से कम उम्र के दर्शक नहीं देख पाएंगे।
मेरी नजर में यह अक्षय की मेहनत और फिल्म बनाने वालों पर सेंसर कमेटी का जुल्म है ।अच्छा हो इस फिल्म को कमेटी के सदस्य फिर देखे और फिर यह सोच कर कि पिछले दिनों आई जाट में सिर कटने और खून से रंगी तलवार के सींस होने के बाद भी फिल्म को UA प्रमाणपत्र दिया गया।
स्टोरी
यह फिल्म उस शख्स की कहानी है जिसने ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा होते हुए भी उनकी नींव हिला दी। कभी अंग्रेजों के वफादार रहे इस शख्स ने एक ऐसे आंदोलन की शुरुआत की, जिसके लिए उसने तलवार नहीं उठाई और सिर्फ अपने कानूनी अधिकार का प्रयोग करके इंसाफ की लड़ाई लड़ी और अंग्रेजी हुकूमत को जनता की अदालत में परास्त किया। सर एस शंकरन नायर (अक्षय कुमार ) का किरदार इस फिल्म की यूएसपी है। 13 अप्रैल 1919 के दिन, प्रदर्शनकारियों का एक समूह अमृतसर के जलि यावाला बाग में शांति पूर्ण ढंग से रौलेट एक्ट का विरोध करने इकट्ठा होता है। जनरल डायर, अपने सशस्त्र सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचता है और बिना किसी चेतावनी के यहां मौजूद करीब 1600 निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाने का निर्देश देता है। इन सभी को मौत के घाट उतार दिया जाता है। इंतहा यह होता है कि अगले कई घंटों तक लाशों को घटनास्थल पर चील-कौवों के खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। मीडिया को इस बारे में कुछ भी लिखने से रोका जाता है। सरकार का पक्ष ही न्यूजपेपर में छपता है, जिसमें लिखा जाता है कि प्रदर्शकारी हथियारबंद आतंकी थे, उनके हमलावर होने के चलते गोलियां चलानी पड़ीं, लेकिन लोगों के बीच गुस्सा भड़क गया। इसका हल भी ब्रिटिश सरकार ने निकाला, एक ओर 25 रुपये का मुआवजा बांटा गया तो दूसरी ओर इस मामले में एक फर्जी जांच बैठाने के निर्देश दिया जाता है इसी जांच का हिस्सा होते है अंग्रेजों से नाइटहुड की उपाधि हासिल करने वाले सर सी शंकरन नायर (अक्षय कुमार)
सर सी शंकरन नायर (अक्षय कुमार) इस आयोग में एकमात्र भारतीय हैं, जिनका ब्रिटिश न्याय प्रणाली में पूरा विश्वास है। क्राउन पहले से ही ये बात मानता है कि वो उनके लिए कठपुतली का काम करेंगे। जांच के दौरान ब्रिटिश सरकार इस मामले से जुड़े तथ्यों को दबाती है। इस दौरान नायर की नजर एक युवा क्रांतिकारी परगट सिंह (कृष्ण राव) पर पड़ती है। इस लड़के से नायर का पुराना कनेक्शन निकलता है और कहानी में ऐसा टर्निंग पॉइंट आता है, जो सर सी शंकरन नायर के विचारों को बदल देता है और इस 13 साल के लड़के की मौत उन्हें सबसे बड़े शासन के खिलाफ एक आवाज के तौर पर खड़ा करती है।अब क्या शंकरन नायर जलियांवाला बाग में मौत के घाट उतारे गए मासूम लोगों को इंसाफ दिला पाते हैं या नहीं ।
एक्टिंग
अक्षय कुमार के किरदार को देख लगता है अब उनमें पहले जैसी चमक लौट आई है। अक्सर क्रिटिक्स उन पर खराब डायलॉग डिलीवरी को लेकर लिखते हैं, लेकिन यहां अक्षय कमाल करते हैं, अनन्या पांडे ने साबित किया है कि स्टारकिड में भी अच्छा टैलेंट हो सकता है। मार्था स्टीवंस वाली केस प्रोसीडिंग वो जिस अंदाज में कोर्ट में खुद स्थापित करती हैं, वो ये साबित कर रहा है कि वो आने वाले समय में बेहतरीन एक्ट्रेसेज में गिनी जाएंगी। माधवन की एंट्री इंटरवल से पहले होती है, लेकिन उनका असल मिजाज इंटरवल के बाद देखने को मिलता है, एंट्री के साथ ही वह छा जाते हैं। उनकी आंखों में बदले की आग और उत्तेजना देखना देखने को मिलती है। कृष राव का किरदार महत्वपूर्ण है और वो छोटे से रोल में भी गहरा प्रभाव छोड़ते है (तीरथ सिंह) के रोल में वह प्रभावी हैं। स्क्रिप्ट असरदार और निर्देशन कसा हुआ जो आपको अंत तक अपनी कुर्सी से बांध कर रखता है।
क्यों देखें
मेरी नजर में केसरी चैप्टर 2′ एक मस्ट वॉच फिल्म है। यह फिल्म सच, इंसाफ और दर्द की दास्तां को पूरी इमांदारी के साथ पेश करती है। भारतीय इतिहास के एक अनकहे और चौंकाने वाले अध्याय को बयां करती इस फिल्म के साथ सेंसर का रवैया निराश करता है।
कलाकार: अक्षय कुमार, आर माधवन, अन्यनया पांडे, जय प्रीत सिंह, अमित स्याल, रोहन वर्मा, मार्क बेनिगटन, कृष राव,निर्माता: हीरू जौहर, करण जौहर, निर्देशक, करण त्यागी, सेंसर सर्टिफिकेट: एडल्ट, पीआर: शैलेश गिरी, अवधि; 135 मिनट