
हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया,
हमारा ही क़त्लेआम होगा।
हमीं कुँए खोदते फिरेंगे,
हमीं पे पानी हराम होगा।
वक्फ संसोधन विधेयक 2025 लोकसभा में चली बहस के बाद पारित हुआ इस बिल का विरोध करते हैं आज यानी बिल से मुसलमानों को क्या नुकसान होगा? पहला यह कि वक्फ की संपत्तियों का सर्वेक्षण और मिलकियत का निर्धारण कलेक्टर करेगा। पहले यह अधिकार वक्फ बोर्ड के पास था। इससे सरकार वक्फ की संपत्ति को सरकारी घोषित करा सकती है। दूसरा नुकसान, इस बिल में केन्द्रीय वक्फ बोर्ड या राज्यों के वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलिम व्यक्ति को भी शामिल करने का प्रावधान है। इससे गैर मुसलिमों का हस्तक्षेप मुसलमानों के धार्मिक मामलों पर पड़ेगा। वे इसके काम-काज की प्रक्रिया भी बाधित कर सकते हैं। जबकि गैर मजहब के ट्रस्ट में मुसलमान इस तरह के महत्वपूर्ण पदों पर नहीं आ सकते। यह सरकार की दोहरी नीति का सीधा चेहरा सामने लाता है। तीसरा, लंबे समय से जो जमीन या संपत्ति धार्मिक काम के लिए इस्तेमाल होती थी, इसे वक्फ बाय यूजर के नाम से जाना जाता था। यानी इस तरह की संपत्तियों के दस्तावेज नहीं होते हैं। इस बिल के पारित होने के बाद अब यह प्रावधान पूर्णतः समाप्त हो जाएगा। इससे ऐसे कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह, मजार आदि खतरे में पड़ेंगे जिनका कोई लिखित दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। चौथा, वक्फ की संपत्तियों पर विवाद को निपटाने के लिए एक वक्फ ट्रिब्यूनल होता था। इसके द्वारा दिया गया फैसला अंतिम माना जाता था। अब इसके खिलाफ अपील उच्च न्यायालयों में की जा सकेगी। जिससे कानूनी प्रक्रिया पूरा करने में जटिलता बढे़गी।
ये चार ऐसे मुख्य कारक हैं जिसके कारण वक्फ बिल 2025 का विरोध किया जा रहा है। इन कारणों के अतिरिक्त भी कई छोटे-मोटे कारक हैं जिनपर बात हो रही है।