
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की वापसी और डेंगू के तेजी से बढ़ते मामलों के बावजूद दिल्ली की भाजपा सरकारें स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में पूरी तरह विफल रही हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की चिकित्सा व्यवस्था आज बदहाल हालत में पहुंच चुकी है और सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।
श्री यादव ने कहा कि कोरोना मामलों में वृद्धि के चलते हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है कि अस्पताल किस हद तक तैयार हैं। वहीं दूसरी ओर, हाल ही की बारिश के बाद डेंगू के 160 नए केस दर्ज हुए हैं, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक हैं।
नवजात मृत्यु दर चिंता का विषय
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए श्री यादव ने बताया कि दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 20 नवजात शिशुओं की मौत हो रही है। वर्ष 2024 में 7439 नवजातों की मृत्यु दर्ज की गई जो अत्यंत गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
भाजपा और AAP दोनों पर निशाना
उन्होंने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में अस्पतालों की हालत बद से बदतर हुई और अब भाजपा सरकार उन अस्पतालों को सुधारने की बजाय ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिरों’ में प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाने में व्यस्त है। श्री यादव ने कहा कि 100 दिनों में केवल एक केंद्र का उद्घाटन कर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जबकि जमीनी हकीकत बहुत भयावह है।
अस्पतालों में स्टाफ की गंभीर कमी
कांग्रेस की आरटीआई सेल द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के अस्पतालों, डिस्पेंसरियों और क्लीनिकों में प्रबंधन व चिकित्सा पदों पर भारी रिक्तियाँ हैं:
4 निदेशक, 6 अतिरिक्त निदेशक, 23 CDMO, 24 अतिरिक्त CDMO, 6 मुख्यालय मेडिकल सुपरिंटेंडेंट और 1538 GDMO/CMO/SMO के पद रिक्त हैं।
इसके अलावा डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन और प्रशासनिक कर्मचारियों समेत 20,264 पद खाली हैं।
CAG रिपोर्ट ने खोली पोल
स्वास्थ्य से जुड़ी सीएजी रिपोर्ट के अनुसार:
27 में से 14 अस्पतालों में ICU सेवाएं नहीं,
16 में ब्लड बैंक नहीं,
8 में ऑक्सीजन सप्लाई नहीं,
15 में शवगृह नहीं,
और 12 अस्पतालों में एम्बुलेंस सेवा या तो नहीं है या खराब हालत में है।
श्री यादव ने कहा कि 100 दिनों में स्वास्थ्य क्षेत्र में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ, जो भाजपा सरकार की नाकामी को दर्शाता है।
आवश्यक दवाओं की भारी किल्लत
उन्होंने बताया कि एम्स, जीटीबी, दिल्ली कैंसर संस्थान, बुराड़ी जैसे प्रमुख अस्पतालों में जरूरी दवाएं जैसे नाडोसु, डुओलिन, डायलिसिस उपकरण और नेबुलाईजर तक उपलब्ध नहीं हैं। दिल्ली कैंसर संस्थान में 178 आवश्यक दवाओं में से 100 से अधिक दवाएं स्टॉक से बाहर हैं।
श्री यादव ने कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब हर बीमारी का इलाज सरकारी अस्पतालों में मुफ्त था, लेकिन आज गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों को इलाज के लिए बाहर से दवाएं और उपकरण खरीदने पड़ रहे हैं।