
दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को और अधिक प्रभावशाली और मरीज केंद्रित बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को अधिक समय दे सकेंगे क्योंकि अस्पतालों में खरीदारी और सप्लाई चेन से जुड़े कार्यों को समाप्त कर दिया गया है।
यह निर्णय इस उद्देश्य से लिया गया है कि डॉक्टर और चिकित्सा स्टाफ अपनी ऊर्जा और समय का उपयोग मरीजों की देखभाल में कर सकें, न कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में। इससे मरीजों को बेहतर और अधिक समर्पित स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त होंगी।
इस पहल की पृष्ठभूमि में वह सोच है जिसे 1994 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने मूर्त रूप दिया था, जब दिल्ली में सेंट्रल प्रोकेयोरमेंट एजेंसी (CPA) की स्थापना की गई थी। इस एजेंसी का मुख्य उद्देश्य था सभी सरकारी अस्पतालों के लिए एक समान, गुणवत्ता आधारित और पारदर्शी खरीद प्रक्रिया को सुनिश्चित करना।
अब इस बदलाव के तहत दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों में खरीद की जिम्मेदारी पूरी तरह से सेंट्रल प्रोकेयोरमेंट एजेंसी को सौंप दी गई है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि संसाधनों का अधिक कुशल और पारदर्शी उपयोग भी संभव हो सकेगा।
दिल्ली सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह फैसला मरीजों के हित में लिया गया है। डॉक्टर अब अधिक समय तक मरीजों के साथ रह सकेंगे, जिससे इलाज की गुणवत्ता में अभूतपूर्व सुधार होगा।”
इस बदलाव से दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक नई शुरुआत मानी जा रही है, जो आने वाले वर्षों में मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।