
अनामिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच, बेतिया द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में कवयित्री रंजीता सिंह ‘फलक’ को उनके बहुचर्चित काव्य-संग्रह ‘चुप्पी प्रेम की भाषा है’ के लिए ‘अनामिका साहित्य सम्मान – 2025’ से सम्मानित किया गया।
यह गरिमामयी आयोजन राम लखन सिंह यादव महाविद्यालय, बेतिया के सभागार में सम्पन्न हुआ, जिसमें साहित्य प्रेमियों, शिक्षाविदों और प्रतिष्ठित रचनाकारों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।

वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह के लिए रंजीता सिंह ‘फलक’ को ₹25,000 की सम्मान राशि, सम्मान-पत्र, अंगवस्त्र एवं श्रीफल प्रदान किए गए। इस अवसर पर कृति पर एक विशेष परिचर्चा भी आयोजित हुई, जिसमें वक्ताओं ने संग्रह की भावभूमि, संवेदनात्मक गहराई और भाषा की मूक अभिव्यक्ति पर सारगर्भित विचार साझा किए।
कार्यक्रम में साहित्यिक समृद्धि को और व्यापक करते हुए दो और पुस्तकों का लोकार्पण भी हुआ —
डॉ. शिप्रा मिश्रा पाण्डेय की हिंदी काव्य-पुस्तक ‘नहीं रहना मुझे पिंजरबद्ध’

डॉ. सुशीला ओझा द्वारा संपादित पच्चीस कवियों का साझा संकलन ‘आसावरी – भाग 2’
इसके अतिरिक्त स्थानीय एवं अतिथि कवियों द्वारा उत्कृष्ट काव्य-पाठ ने कार्यक्रम को काव्यरस में डुबो दिया।
‘अनामिका साहित्य सम्मान’ अब साहित्यिक जगत में स्त्री-कवियों की नवस्वर पहचान को प्रोत्साहित करने वाला एक प्रतिष्ठित मंच बन चुका है, और इस वर्ष का आयोजन भी इसी परंपरा को सशक्त करता हुआ दिखाई दिया।