
बैंगलोर की प्रतिष्ठित आर्ट यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विशेष व्याख्यान में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ज्योतिषाचार्य, वास्तु विशेषज्ञ एवं हॉलैंड में मानवाधिकार प्रमुख डॉ. नीना शर्मा ने छात्रों को वास्तु शास्त्र के जीवन में महत्व और उपयोगिता पर विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. नीना शर्मा ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि वास्तु शास्त्र केवल भवन निर्माण की प्रक्रिया नहीं है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, सुख-शांति और समृद्धि का मूल स्तम्भ है। यदि व्यक्ति वास्तु सिद्धांतों का पालन करता है तो जीवन में सुखद परिणाम मिलते हैं और जब इन्हें अनदेखा किया जाता है तो जीवन में संघर्ष और मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।


डॉ. नीना शर्मा के मुख्य बिंदु:
घर का मुख्य द्वार हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में होना चाहिए।
दक्षिण दिशा का मुख्य द्वार, पूर्व दिशा में शौचालय, या तीकोना घर वास्तु दोष का कारण बनता है।
बीमारियों और आर्थिक कष्टों का प्रमुख कारण अक्सर वास्तु दोष होता है, जिसे साधारण सुधारों द्वारा ठीक किया जा सकता है।
घर में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्वों के संतुलन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

वास्तु से जुड़े छात्रों के प्रमुख प्रश्न और उत्तर:
मुख्य द्वार — उत्तर या पूर्व दिशा
रसोई — दक्षिण-पूर्व में
मास्टर बेडरूम — दक्षिण-पश्चिम में
पूजा कक्ष — उत्तर-पूर्व में
रंग चयन — हल्के, शांति देने वाले रंग जैसे नीला, पीला, गुलाबी
बाथरूम — उत्तर या उत्तर-पश्चिम में
डॉ. नीना शर्मा ने कहा कि यदि जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि चाहिए तो घर और कार्यस्थल को स्वच्छ, व्यवस्थित और वास्तु के अनुकूल रखें।
आर्ट यूनिवर्सिटी प्रशासन और विद्यार्थियों ने डॉ. नीना शर्मा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके अनुभव और ज्ञान ने छात्रों को व्यावहारिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा दी है।