
फतेहपुर। खागा तहसील क्षेत्र के प्रसिद्ध मंडवा सादात गांव में हर वर्ष की भांति इस बार भी करबला के वीर शहीद इमाम ज़ैनुल आबिदीन की याद में शानदार मजलिस, ताबूत जुलूस और नौहाख्वानी का आयोजन किया गया। रविवार देर रात तक पूरा गांव अकीदत और ग़म के रंग में डूबा रहा। ‘लब्बैक या हुसैन’ की सदाओं से मंडवा सादात की फिज़ा इमाम की याद में गमगीन नजर आई।
करबला की शहादत के बाद इमाम हुसैन के बेटे, करबला के गवाह और मदीना में करबला की दास्तान सुनाने वाले इमाम ज़ैनुल आबिदीन की याद में निकाले गए इस जुलूस में बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की। अंजुमन अब्बासिया बांदा, अंजुमन नूरी हैबतपुर, अंजुमन नवाबिया काजीपुर, अंजुमन हुसैनिया मंडवा सादात और अंजुमन अब्बासिया निजाम का पुरवा (कौशांबी) ने शानदार नौहाख्वानी और मातम पेश किया।
मजलिस से हुई शुरुआत, ताबूत जुलूस में उमड़ा जनसमूह
कार्यक्रम की शुरुआत अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मजलिस से हुई। मशहूर आलिम-ए-दीन मौलाना जावेद काज़मी लखनवी ने शहीद-ए-करबला और इमाम ज़ैनुल आबिदीन की शहादत पर रौशन और रूहानी तकरीर पेश की। मजलिस के बाद ताबूत का जुलूस निकाला गया, जिसमें श्रद्धालु ‘लब्बैक या हुसैन’ और ‘या सैयद साजिदीन’ की सदाएं बुलंद करते रहे।
ग़मगीन माहौल में अश्कबार रहीं आंखें, मातम में डूबा इलाका
ताबूत जुलूस के दौरान करबला की याद में नौहाख्वानों ने दिल को छू लेने वाले नौहे पेश किए। अंजुमन अब्बासिया बांदा ने अपनी पेशकश से पूरे माहौल को हुसैनी रंग में रंग दिया। नौहाख्वानी के दौरान इमाम हुसैन की बहन बीबी ज़ैनब की दास्तान और उनके करुण रूदन को जब नौहे की शक्ल में पेश किया गया तो आंखें आंसुओं से तर हो गईं।
इस अवसर पर प्रसिद्ध नौहाख्वान शमशुल हसन रिज़वी (छोटू बांदवी) ने अपनी बुलंद और दर्दभरी आवाज़ में नौहे पेश कर सभी को रुला दिया। अरशद नक़वी, आशु और राहिब (निजाम का पुरवा) तथा शाहिद (हैबतपुर) ने भी अपनी बेहतरीन पेशकश से उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया
पत्रकार संगठनों की भी रही भागीदारी, सीजेए प्रदेश अध्यक्ष ने किया मातम
इस मौके पर पत्रकारों के शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (CJA) के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने भी मंच पर मौजूद रहकर नौहाख्वानों की हौसला अफज़ाई की और मातम में शिरकत की। उनके साथ सीजेए के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान, खागा तहसील कोषाध्यक्ष एवं बहेरा सादात के पूर्व प्रधान ताज आब्दी भी मौजूद रहे और कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।
गांव के प्रमुख जिम्मेदारों का सराहनीय योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में मंडवा सादात गांव के कई जिम्मेदारों का विशेष योगदान रहा। अहमद रज़ा (अल्लन), सफदर हुसैन, गालिब रज़ा, रज़ा अब्बास, हैदर अब्बास, मुख़्तार अस्करी (प्रधानाचार्य), इमरान हैदर समेत अन्य गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्थाओं को बखूबी संभाला।
लंगर और सबील का दौर पूरी रात चलता रहा
कार्यक्रम के दौरान लंगर और सबील का सिलसिला जारी रहा। श्रद्धालुओं ने देर रात तक करबला के शहीदों को याद करते हुए शिरकत की और तबर्रुक प्राप्त किया। यह कार्यक्रम न केवल करबला के शहीदों की याद को ताज़ा करने वाला रहा, बल्कि इंसानियत और भाईचारे का संदेश देने वाला भी सिद्ध हुआ। मंडवा सादात गांव में हर वर्ष इस तरह की परंपरा का जीवित रहना शहीद-ए-करबला के पैगाम की जिंदा मिसाल है।
भागीदारी, सीजेए प्रदेश अध्यक्ष ने किया मातम
इस मौके पर पत्रकारों के शीर्ष संगठन साइबर जर्नलिस्ट एसोसिएशन (CJA) के प्रदेश अध्यक्ष शहंशाह आब्दी ने भी मंच पर मौजूद रहकर नौहाख्वानों की हौसला अफज़ाई की और मातम में शिरकत की। उनके साथ सीजेए के राष्ट्रीय महासचिव शीबू खान, खागा तहसील कोषाध्यक्ष एवं बहेरा सादात के पूर्व प्रधान ताज आब्दी भी मौजूद रहे और कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।