
आर्य समाज मंदिर, अशोक विहार फेज-1 में एक विशेष वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य आज के युवाओं में वैदिक संस्कारों का संचार कर उन्हें एक सशक्त, चरित्रवान और राष्ट्रनिष्ठ नागरिक बनाना था। इस अवसर पर प्रसिद्ध वैदिक चिन्तक और युवा विचारक ओम सपरा ने “युवा संस्कार और युवा शक्ति के विकास में आ रही बाधाएँ एवं समाधान” विषय पर अत्यंत ओजस्वी और जाग्रत करने वाला उद्बोधन दिया।
अपने संबोधन में ओम सपरा ने कहा कि – “जब तक हमारे युवा अपने प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों, वैदिक सिद्धांतों और आत्मबल से जुड़े नहीं होंगे, तब तक समाज में स्थायी सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं। आज आवश्यकता है कि हम अपने युवाओं को केवल तकनीकी दक्षता ही नहीं, अपितु नैतिकता, संयम, और स्वाध्याय से भी सज्जित करें।” उन्होंने वर्तमान शिक्षा पद्धति, सामाजिक मीडिया के दुष्प्रभाव, परिवारों में संवादहीनता और आत्मचिंतन की कमी को युवा निर्माण की प्रमुख बाधाओं के रूप में चिन्हित किया।
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट आर्यजनों ने भी अपने विचार साझा किए और ओम सपरा के मार्गदर्शन की सराहना की।
इस अवसर पर जिन प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, उनमें अनिल आर्य, नेत्रपाल आर्य, हरभजन सिंह देओल, तिलक राज संदूजा, महेंद्र भाई, जीवन लाल आर्य, विक्रांत चौधरी, बालक विभु आदि प्रमुख हैं। इन सभी ने अपने अनुभवों से युवाओं के समग्र विकास में आर्य समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजकों ने भविष्य में भी इसी प्रकार के वैचारिक कार्यक्रमों के आयोजन की घोषणा की, जिससे युवा पीढ़ी वैदिक सिद्धांतों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा सके।