
गौरव, श्रद्धा और भावपूर्ण स्मरण से परिपूर्ण इस वर्ष का अवसर ऐतिहासिक होने जा रहा है। इस वर्ष अस्थि कलश विसर्जन यात्रा अपने 25वें वर्ष – सिल्वर जुबली वर्ष – में प्रवेश कर रही है। यह यात्रा उन अमर हुतात्माओं को नमन करने का प्रतीक है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता, सम्मान और एकता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
यात्रा का आयोजन
यह पावन यात्रा आगामी 19 सितम्बर 2025 (शुक्रवार) प्रातः 10 बजे राष्ट्र की राजधानी दिल्ली स्थित शहीदी पार्क, आईटीओ से प्रारंभ होगी। शहीदी पार्क स्वयं शौर्य, बलिदान और राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथाओं का साक्षी है, अतः यहाँ से यात्रा का शुभारंभ और भी अधिक ऐतिहासिक एवं भावनात्मक महत्व रखता है।
यात्रा का समापन अगले दिन 20 सितम्बर 2025 (शनिवार) दोपहर 1 बजे पवित्र नगरी हरिद्वार के कनखल स्थित सतीघाट पर किया जाएगा। सतीघाट वह पावन स्थल है जहाँ से गंगा की पवित्र धारा संपूर्ण राष्ट्र को जोड़ती है। यहाँ हजारों की संख्या में देशभर से आए हुतात्माओं के अस्थि कलशों का विसर्जन 100 किलो दूध की धारा से बड़े ही सम्मान, श्रद्धा और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया जाएगा। यह दृश्य न केवल भक्ति और सम्मान का प्रतीक होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए बलिदान और राष्ट्रप्रेम का प्रेरणास्रोत भी बनेगा।
समाज से सहयोग का आह्वान
समिति ने समाज के सभी वर्गों से निवेदन किया है कि वे प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी तन, मन और धन से सहयोग प्रदान करें। यह केवल एक धार्मिक अथवा सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी और बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है।
दान राशि निम्न माध्यमों से भेजी जा सकती है:
- Paytm नंबर:
📱 8700785212 – नमन शर्मा
📱 9582735654 – सुश्री किरणदीप कौर
दान भेजते समय समिति ने निवेदन किया है कि दानदाता दान का स्क्रीनशॉट अवश्य भेजें, ताकि उन्हें समिति की ओर से आधिकारिक रसीद उपलब्ध कराई जा सके। यह रसीद आयकर की धारा 80G के अंतर्गत छूट प्राप्त करने हेतु मान्य होगी।
यात्रा का महत्व और संदेश
यह “अस्थि कलश विसर्जन यात्रा” केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि है – उन वीरों के प्रति जिन्होंने स्वतंत्र भारत की नींव रखी। यह यात्रा हमें यह स्मरण कराती है कि स्वतंत्रता और आज़ादी की कीमत बलिदानों से चुकाई गई है।
समिति का सभी से आह्वान है कि अधिक से अधिक संख्या में इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित हों और अपनी सहभागिता से न केवल हुतात्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करें, बल्कि राष्ट्रप्रेम और एकता का संदेश भी पूरे समाज तक पहुँचाएँ।