
आज के समय में अधिकांश युवा अपनी पहली तनख्वाह से मोबाइल, बाइक या कपड़े ख़रीदने का सपना देखते हैं। लेकिन इन सबके विपरीत सोच रखते हुए, ओशो मुरगोड ने अपनी पहली सैलरी से अनाथ और ज़रूरतमंद बच्चों के लिए स्कूल बैग और स्टेशनरी दान कर दी। यह कार्य उनके दया, करुणा और मानवता के उत्कृष्ट उदाहरण को दर्शाता है।
ओशो मुरगोड वर्तमान में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से फ्रेंच मल्टीनेशनल कंपनी Air Liquide में चयनित किया गया है। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।
ओशो को समाज सेवा की प्रेरणा उनके परदादा फकीरप्पा मुरगोड से मिली, जो गोकाक (कर्नाटक) के सरकारी स्कूल में हेडमास्टर रहे। शिक्षा और सामाजिक उत्थान में उनके योगदान को मान्यता देते हुए स्वयं डॉ. भीमराव अंबेडकर ने विद्यालय का दौरा कर उन्हें सम्मानित किया था।
दिल्ली में बस जाने के बावजूद मुरगोड परिवार ने अपनी जड़ों, समाज के प्रति चिंता और मातृभूमि के प्रति कृतज्ञता को कभी नहीं छोड़ा। ओशो हर जन्मदिन को समाजसेवा के कार्यों से मनाते हैं। उनकी ज़िंदगी का हर कदम समाज के उत्थान को समर्पित रहा है।
“ओशो” नाम, जो जापानी भाषा में भगवान बुद्ध को संदर्भित करता है, उन्हें उनके दादा भीमराव मुरगोड (प्रसिद्ध चित्रकार) ने दिया था।
उनके माता-पिता श्री आनंद मुरगोड और श्रीमती सुमिता मुरगोड हमेशा उनका साथ देते आए हैं।
ओशो मुरगोड का यह सामाजिक चेतना से प्रेरित जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है। उनकी प्रेरणादायक यात्रा निश्चित ही युवाओं को समाजसेवा की ओर अग्रसर करेगी।