उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता एवं राज्य आंदोलन के प्रतीक पुरुष फील्ड मार्शल दिवाकर भट्ट के निधन पर उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, पूर्व मंत्री और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा कि दिवाकर भट्ट का जाना उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शक्तियों के लिए अपूर्णीय क्षति और एक बड़ा झटका है।
धीरेंद्र प्रताप ने स्पष्ट कहा—“दिवाकर भट्ट का नाम लिए बिना उत्तराखंड आंदोलन का इतिहास अधूरा माना जाएगा। वे अपने समय के बेजोड़, निर्भीक और संघर्षशील नेता थे, जिन्होंने राज्य निर्माण के उद्देश्य को हमेशा व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखा।”
उन्होंने कहा कि दिवाकर भट्ट ने लंबी भूख हड़ताल कर, राज्य के दूर-दराज़ अंचलों में पैदल और सड़क मार्ग से व्यापक दौरा कर, लोगों में राज्य निर्माण के प्रति चेतना जगाई। “उनका योगदान अविस्मरणीय है और उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता,” उन्होंने कहा। धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार से मांग की कि दिवाकर भट्ट की स्मृति में देहरादून और गैरसैंण में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए। उन्होंने बीमारी के दिनों में राज्य सरकार द्वारा उनकी उपेक्षा को “असहनीय और दुखद” कहा। इसी क्रम में उन्होंने मार्क्सवादी–लेनिनवादी पार्टी के नेता राजा बहुगुणा की अस्वस्थता के दौरान राज्य सरकार की बेरुखी को भी “निंदनीय और अपमानजनक” बताया। धीरेंद्र प्रताप ने कहा “मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिवाकर भट्ट की अस्वस्थता के दिनों में बरती गई सरकारी उपेक्षा के लिए राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए।”