केंद्र सरकार द्वारा देशभर में शुरू की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर विवाद गहरा गया है। फिलहाल 12 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में SIR फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी बीच एडवोकेट सुबोध चंद्र रॉय ने SIR के खिलाफ मुख्य न्यायालय में एक महत्वपूर्ण याचिका दाखिल की है। एडवोकेट रॉय ने कहा कि SIR में उपयोग किया जाने वाला A फॉर्म त्रुटिपूर्ण है, जबकि B फॉर्म में तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने दावा किया कि SIR की वर्तमान प्रक्रिया “न्यायसंगत नहीं है” और इससे आम नागरिकों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
सबसे बड़ा विवाद साल 2002 की वोटर लिस्ट से जुड़े दस्तावेज़ों की मांग पर है। रॉय ने कहा कि बड़ी संख्या में नागरिक ऐसे हैं जिनका 2002 की वोटर लिस्ट में नाम नहीं था I उस समय कई लोग बालिग भी नहीं थे I इसलिए इस आधार पर नागरिकता या पहचान तय करना तर्कसंगत नहीं है I एडवोकेट सुबोध रॉय ने बताया कि उन्होंने आज इस विषय पर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) दायर की है। उनका कहना है कि SIR प्रक्रिया “हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के मूल ढांचे को प्रभावित कर सकती है।”
उन्होंने बताया कि SIR प्रक्रिया जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हुई है, वे हैं—छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी।
रॉय ने दावा किया कि SIR एन्यूमरेशन फॉर्म “गैर-कानूनी, आत्म-विरोधाभासी और करोड़ों नागरिकों द्वारा भरा जाना लगभग असंभव” है।
देश के 12 राज्यों में SIR प्रक्रिया शुरू, एडवोकेट सुबोध चंद्र रॉय ने हाई कोर्ट में याचिका दायर—A और B फॉर्म में बदलाव की मांग