आचार्य काकासाहेब कालेलकर एवं प्रख्यात साहित्यकार विष्णु प्रभाकर की स्मृति को समर्पित सन्निधि संगोष्ठी का आयोजन राजघाट स्थित गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा के सभागार में गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह संगोष्ठी समकालीन साहित्यिक विमर्श और रचनात्मक संवाद का सशक्त मंच बनी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष चंदर ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में राम किशोर उपाध्याय उपस्थित रहे। संगोष्ठी वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम गुप्ता के सान्निध्य में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल कुमार ने किया।इस अवसर पर लेखिका कुलीना कुमारी की कहानी-संग्रह ‘करुणा एवं अन्य कहानियां’ तथा उपन्यास ‘शांति का अशांत मन’ पर विस्तृत एवं विचारोत्तेजक चर्चा की गई। वक्ताओं ने इन कृतियों में निहित मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक यथार्थ, आंतरिक संघर्ष और नैतिक मूल्यों की गहन विवेचना की। चर्चा में भाग लेते हुए वेद मित्र शुक्ल, केदारनाथ ‘शब्द मसीहा’, बालकृष्ण गांधी, कुसुम गांधी एवं रामानुज सिंह सुंदरम ने कहा कि कुलीना कुमारी की रचनाएं संवेदना, करुणा और आत्ममंथन की सशक्त अभिव्यक्ति हैं, जो पाठक को भीतर तक झकझोरती हैं।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सुरेंद्र अरोड़ा, संदीप तोमर, बीना शर्मा, रेणुका चितकारा, निशा भास्कर, विनय विक्रम सिंह, अंजु खरबंदा एवं धर्मवीर ने अपनी-अपनी लघुकथाओं का प्रभावशाली पाठ किया, जिसे श्रोताओं ने सराहा।
संगोष्ठी में साहित्यप्रेमियों और गणमान्य अतिथियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही, जिनमें राज शर्मा, रंजना अग्रवाल, विक्की कपूर, पुनीता सिंह सहित अनेक साहित्यकार एवं पाठक शामिल थे। कार्यक्रम का समापन साहित्य और मानवीय मूल्यों के संरक्षण के संकल्प के साथ हुआ।