नई दिल्ली : दिल्ली में गुरुवार से रोहिणी के सेक्टर-10 में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन का आगाज हो गया। चार दिन के इस सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया। उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को स्वामी दयानंद सरस्वती की तस्वीर भेंट की गई। इस सम्मेलन में 32 देशों के प्रतिनिधियों समेत कुछ राज्यों के गवर्नर और मुख्यमंत्रियों के साथ कई केंद्रीय मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने स्वामी दयानंद सरस्वती के जीवन को याद किया।
उन्होंने कहा कि 19वीं सदी में स्वामी विवेकानंद समाज सुधार की नई चेतना बन कर समाज में आए, जो आज के समय में भी प्रासंगिक बने हुए हैं। राष्ट्रपति कोविंद ने महान समाज सुधारक महर्षि दयानन्द को स्मरण करते हुए बताया कि समाज सुधार की जो आवाज उन्होंने उठाई वह 55 वर्ष बाद गांधी जी ने लागू की जिसे नमक आन्दोलन में देख सकते हैं। समानता पर बल देते हुए उन्होंने स्त्री शिक्षा व महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। राष्ट्रपति ने लोगों से अपील की कि शहरों में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए दीपावली पर पटाखों का इस्तेमाल न करें।
वहीं केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन ने अपने प्रेरक विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि महर्षि दयानन्द ने जात-पात, भेद-भाव का जो विरोध किया उससे वे सर्वाधिक प्रभावित हुए, जो आज भी प्रासंगिक है। इससे पहले उद्घाटन कार्यक्रम का शुभारम्भ गंधर्व महाविद्यालय की छात्राओं के समूह द्वारा सुमधुर संगीत से हुआ। इस अवसर पर अन्य आर्य महानुभावों में हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, मानव संसाधन विकास मंत्री डा. सत्यपाल सिंह तथा सांसद स्वामी सुमेधानंद सीकर राजस्थान, एमडीएच मसाले के संस्थापक महाशय धर्मपाल तथा गणमान्य प्रतिष्ठित महात्मा, संन्यासियों ने शिरकत की।
महर्षि दयानन्द के परोपकारी कार्यों व अमर शहीदों के प्रेरणास्रोत दर्शाते हुए मानस कुमार साहू ने यहां बालू से आकर्षक स्मृति स्थल बनाया। यहां चित्र प्रदर्शनी में देश पर बलिदानी क्रांतिवीरों में अमर शहीद पंजाब केसरी समूह के संस्थापक लाला जगत नारायण व उनके शूरवीर निर्भीक पत्रकार पुत्र रमेशचन्द्र को भी चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
देशभर से पधारे प्रतिनिधियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं, जिसमें नगालैंड के वनवासी बंधुओं द्वारा बटरफ्लाई नृत्य का भी नयनाभिराम प्रदर्शन हुआ, इसके अतिरिक्त झारखण्ड के कलाकार अपनी लोक सांस्कृतिक वेशभूषा में अपनी प्रस्तुती करते नजर आए। इस अवसर में पुरातन काल का गुरुकुल व आदर्श दिनचर्या देखने को मिली जहां गौपालन व औषधियों के चित्रण को निर्माण को भी दर्शाया गया। यहां प्रातः से सायं यज्ञ के साथ पूर्णकालिक यज्ञ हुआ, जिसमें आचार्य हरिओम शास्त्री, अशोक शास्त्री ने भी पर्यावरण शुद्धी में इसका महत्व समझाया। यहां अंध विश्वास निवारण सम्मलेन, आर्य वीर दल तथा संगीत सम्मेलनों से जागृति उत्पन्न की गई।