डॉ. बी. आर. चौहान
रफी मार्ग स्थित विट्ठल भाई पटेल हाउस के कांस्टीट्यूशन क्लब में देश के सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर द्वारा लिखित दो पुस्तकों – ‘समस्या और समाधान’ तथा ‘आमजन और राजनीति’ पुस्तक विमोचन के इस कार्यक्रम को हृदय नारायण दीक्षित-पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उत्तर प्रदेश, श्री राम बहादुर राय- अध्यक्ष इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र एवं वरिष्ठ पत्रकार,श्री लक्ष्मी दास- उपाध्यक्ष हरिजन सेवक संघ तथा श्री संजय सिंह- राज्यसभा सांसद ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता रघु ठाकुर ने की।
इस अवसर पर बोलते हुए संजय सिंह ने कहा कि ये दोनों पुस्तक युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन व प्रेरणा स्रोत साबित होंगी। समाज के लोगों को इन पुस्तकों को पढ़ना चाहिए और भारतीय राजनीति, जो सामाजिक जीवन में मुख्य भूमिका अदा करती है, की बारीकियां को, ये पुस्तकें समझने का अवसर देती हैं। ये दोनों पुस्तकें देश के नौकरशाहों और सत्ताधीशों को भी अवश्य पढ़ाना चाहिए ताकि वे समस्याओं को समझकर उनका हल निकल सकें।सांसद-निधि को लेकर देश में बड़ी बहस होनी चाहिए क्योंकि आज इस निधि के ऊपर से बड़ी बदनामी हो रही है।
श्री लक्ष्मी दास ने कहा कि इन पुस्तकों को पढ़ना चाहिए,अध्ययन करना चाहिए। आज की सामाजिक व्यवस्था, पूंजीवाद, व्यापार नीति और हमारी विदेश नीति क्या होनी चाहिए? भारत के पड़ोसी देशों से कैसे संबंध होने चाहिए? इन पुस्तकों में विस्तार से रघु जी ने विश्लेषण किया है। इस पर रिसर्च का बड़ा काम हो सकता है। जो बात, यदि गाँधी जी आज जिंदा होते हुए कहते, वही रघु जी ने, बड़ी हिम्मत और बेबाक ढंग से इन पुस्तकों में लिखा है। ये पुस्तकें- वर्तमान हैं, भविष्य हैं और इतिहास भी हैं।
श्री हृदय नारायण दीक्षित ने बोलते हुए कहा कि रघु जी के लेखन, बोलचाल और जीने में गांधी लोहिया के संस्कार स्पष्ट दिखाई देते हैं। वे सृजन का कार्य लगातार कर रहे हैं। सृजन बड़ा काम है और लिखना उससे भी बड़ा काम है। मेरी रघु जी को शुभकामनाएं हैं कि वे सृजन और लेखन के काम को लगातार बिना रुके करते रहें। हमारे देश में लोकतंत्र की, संविधान की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसलिए हमारे देश में संविधान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता।
वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा कि आमजन और राजनीति पुस्तक का पुरोकथन लिखते हुए मैंने इन लेखों को गहराई से पढ़ा है। रघु जी न केवल लिखते हैं बल्कि अपने लेखन को कर्म के साथ जोड़ते भी हैं। विभिन्न सवालों पर दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकते हैं परंतु पुस्तकों की मूल वस्तु और उसके निष्कर्ष से अधिकतम सहमति बनती है।सांसद निधि जब शुरू की गई थी, वह सांसदों को खुश करने के लिए थी।आज इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है।राजनीति को साफ करने के लिए सांसद निधि को बन्द करना चाहिए।ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, ग्राम पंचायतों को जिला प्रशासन(कलेक्टर)के चंगुल से निकला जाना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि मैंने जो निष्कर्ष निकाले हैं या जो समाधान सुझाए हैं वे कोई अंतिम नहीं हैं। देश और दुनिया में हजारों लोग हैं जो मुझसे भी ज्यादा प्रबुद्ध और ज्ञानी हैं। हर व्यक्ति को अपने समाज के समक्ष उपस्थित सवालों पर विचार करना चाहिए, मार्ग खोजने चाहियें और उन पर चलने का प्रयास करना चाहिए। आज के दौर में मानवीय मानस के लिए तीन प्रकार के स्वरूप होने जरूरी हैं लोकतांत्रिक मानस, लोकतांत्रिक आचरण, लोकतांत्रिक नैतिकता।
आज, जो भी समस्यायें, दुनिया के सामने हैं उनके पीछे इन तीन प्रवृत्तियों का अभाव है। राजनीति अगर काले-धन की कैद में रहेगी तो वह पथ-भ्रष्ट होगी। मानव को बदलने वाली मुख्य शक्तियां राजनीति, मीडिया और धर्म -आज ये सभी पूंजी से नियंत्रित हो रही हैं। पूंजी, उत्पादन के लिए हो, रोजगार के लिए हो, तकनीक के विकास के लिए हो। परंतु, पूंजी मानव की नियंत्रक नहीं होनी चाहिए। चुनाव सुधारों की आवश्यकता है और चुनाव को ऐसा होना चाहिए ताकि सभी को समान समानता से अवसर मिलें। लोकतंत्र का मतलब केवल एक व्यक्ति का वोट नहीं है बल्कि इसके साथ-साथ चुनाव के समान अवसर भी हैं। लोकतंत्र की सफलता व्यक्तियों के मानस पर निर्भर करती है जैसा समाज होगा-वैसा राज बनेगा और वैसा ही लोकतंत्र।
इन दोनों पुस्तकों का संपादन डॉ शिवा श्रीवास्तव ने किया जिसके लिए रामबहादुर राय ने कहा कि जिस मेहनत एवं खूबसूरती से उन्होंने संपादन कार्य किया है उसके लिए मैं उनको बधाई देता हूँ I
कार्यक्रम का संचालन मीडिया सॉल्यूशंस के नित्यानंद तिवारी ने किया। श्रीमती अनीता सिंह एवं सर्वेश मिश्रा ने अतिथियों का सम्मान किया।
कार्यक्रम में श्रीमती अनिता सिंह, मुकेश चंद्रा, नित्यानंद तिवारी, सर्वेश मिश्रा, सुश्री दीपिका को पुस्तक प्रकाशन तथा कार्यक्रम में उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर राजनाथ शर्मा, जेड़ के फैजान- एडवोकेट,तिब्बती निर्वासित सरकार के पूर्व उपप्रधानमंत्री श्री आचार्य, मुकेश चंद्रा, प्रो अशोक पंकज, श्याम सुंदर यादव,संतोष भारतीय,श्री अरुण प्रताप सिंह, साहित्यकार राजेंद्र ‘राजन’, प्रो जयंत तोमर,श्री शिव गोपाल मिश्रा, निरंजन सिंह,श्री दयाशंकर शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार-राजकुमार सिंह,श्री रमेश शर्मा-गांधीवादी, श्रीमती सारिका चौधरी-पार्षद, बृजेश शर्मा, एच. एन. शर्मा,,श्रीमती शशि दीक्षित, वीरेंद्र कुशवाहा,डॉ सारिका वर्मा, शिवदयाल, सभाजीत,हर्ष, श्रीमति आशा रानी, विजय वर्मा-एडवोकेट , साहस, राधेश्याम यादव,, जहीरूद्दीन, बलराज मलिक-एडवोकेट,, एस एस नेहरा-एडवोकेट, नरेंद्र पाल वर्मा,डॉ रजनी राठी, सक्सेना जी-आकर प्रकाशन,शशि भूषण ठाकुर, चंद्रपाल सिंह, गुलाब सिंह ठाकुर, राकेश कुमार-पूर्व पार्षद, अभय सिन्हा-जेपी फाउंडेशन, कर्नल राम, के सी पीपल, हीरा लाल, कर्नल ओ पी मलिक, अभय झा, अजय तिवारी पत्रकार, धीरेंद्र सिंह परमार,प्रो हरीश खन्ना, एडवोकेट-ढाका(बागपत), गजेन्द्र रावत, रईसअंसारी, श्री वसीम, ओमवीर उपस्थित रहे।