कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की राजनीति से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने आम आदमी पार्टी द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची के अलावा कांग्रेस की चुनावी रणनीति के बारे में भी बताया।
नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ताल ठोक रहे संदीप दीक्षित ने आप द्वारा विधायकों के टिकट काटे जाने पर कहा, “आम आदमी पार्टी में सारे फैसले केवल एक नेता अरविंद केजरीवाल के द्वारा लिए जाते हैं। उनका कहना है कि विधायक सिर्फ केजरीवाल के आदेशों को लागू करने वाले नौकर होते हैं और चुनाव में वोट उन्हीं के नाम पर पड़ता है। इसके बावजूद, पार्टी के अंदर जो खबरें आई हैं, उनके अनुसार पार्टी के 30-32 विधायक हारने की आशंका से जूझ रहे हैं। यह बात दर्शाती है कि पार्टी के अंदर असंतोष है, और हार की आशंका को लेकर अटकलबाजियां हो रही हैं।”
अरविंद केजरीवाल के जीत के दावे पर उन्होंने कहा, “उन्होंने पहले भी कई ऐसे वादे और दावे किए थे, जैसे कि हवा साफ होगी, यमुना साफ हो जाएगी। इन वादों को पूरा नहीं किया गया, जिससे उनके वादों की विश्वसनीयता पर भी संदेह पैदा होता है।”
कांग्रेस की चुनावी रणनीति के बारे में बताते हुए संदीप दीक्षित ने कहा, “हमारी रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है। हमारा मुख्य फोकस दिल्ली सरकार के पिछले 10 वर्षों में किए गए कामों को उजागर करना होगा, जिन्हें अब दिल्ली में बड़े मुद्दों के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। वहीं, दिल्ली में जो योजनाएं शीला दीक्षित के समय में चली थीं, जैसे लाडली योजना, बुजुर्गों की पेंशन, किशोरी योजना, स्कूलों का निर्माण और नए अस्पतालों का निर्माण, ये योजनाएं केजरीवाल सरकार के आने के बाद बंद कर दी गईं। कांग्रेस इस बात को जोर देकर कह रही है कि उसकी योजना अच्छे कार्यों को निरंतर जारी रखने की है और पार्टी का उद्देश्य जनता को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देना है।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास स्पष्ट रणनीति है, जिसमें वे जनता के बीच जाकर अपनी सरकार के अच्छे कार्यों को बताना चाहते हैं। उनकी योजना है कि उनकी सरकार आने पर पुराने अच्छे कामों को जारी रखा जाएगा, जो केजरीवाल सरकार के समय में बंद हो गए थे। इसके अलावा, कांग्रेस के पास कई अच्छे वादे हैं जो हम जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे, और उन वादों को पूरा करेंगे।”
नेहरू मेमोरियल के एक सदस्य ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिख कर नेहरू जी से जुड़ी चिट्ठियां वापस मांगी हैं। इस पर संदीप दीक्षित ने कहा, “वे उन चिट्ठियों का क्या करेंगे। नेहरू जी की लिखित कार्यों से संबंधित सामाग्री पहले ही प्रकाशित हो चुकी है। ऐसी स्थिति में अब इस तरह की चिट्ठियां मांगने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।”
संसद में ‘संविधान पर चर्चा’ को लेकर उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जब संविधान पर विश्वास ही नहीं रखते हैं, तो ऐसी स्थिति में संविधान पर चर्चा कराने का क्या अर्थ है।”