
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों के प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी कर निर्देश दिए गए हैं कि जिन विषयों में सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्तियों के समय एससी/एसटी के अभ्यर्थियों को उनके पदों पर चयन समिति द्वारा नॉट फाउंड सूटेबल ( NFS ) किया गया है उसका सम्पूर्ण ब्यौरा दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया जाए । बता दें कि एससी/एसटी शिक्षक संगठनों ने कुलपति को शिकायत की थीं कि पिछले दो साल में हुई सहायक प्रोफेसर के पदों पर एससी/एसटी के काफी संख्या में नॉट फाउंड सूटेबल हुए है । कुलपति ने तुरंत संज्ञान लेते हुए कॉलेजों से इस संदर्भ में जानकारी मांगी है कि एससी /एसटी के कितने अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया ।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायत मिली है कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्तियों में एससी/एसटी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है । कुलपति द्वारा तुरंत संज्ञान लेते हुए कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर इसकी सम्पूर्ण जानकारी मांगी गई है कि अभी तक कॉलेज द्वारा कितने पदों को भरा गया है , कितने पदों पर एससी /एसटी अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है । उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों व कॉलेजों में पिछले दो साल से सहायक प्रोफेसरों की स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है। इस दौरान लगभग पाँच हजार पदों पर स्थायी नियुक्ति की गई है । बता दें कि नियुक्तियों से पूर्व कॉलेज प्रशासन ने इन पदों को भरने से पहले स्क्रीनिंग व स्कूटनी की प्रक्रिया को अपनाया था । जो अभ्यर्थी यूजीसी नियमानुसार पूर्ण योग्यता रखते थे उन्हें ही साक्षात्कार में बुलाया गया । चयन समिति में सभी वर्गों के विषय विशेषज्ञों के अलावा एससी/एसटी/ओबीसी कोटे के ऑब्जर्वर को शामिल किया गया था बावजूद इसके आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया ।
डॉ.सुमन ने बताया है कि जिस चयन समिति ( सलेक्शन कमेटी ) में एससी /एसटी ऑब्जर्वर ने अपने अधिकार व पद का सही इस्तेमाल नहीं किया उन्हीं विभागों / कॉलेजों में एससी/एसटी पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल हुआ है । उनका कहना है कि चयन समिति में ऑब्जर्वर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है , अगर वह अपने पद का सही इस्तेमाल करें तो आरक्षित सीटों पर कदापि नॉट फाउंड सूटेबल नहीं हो सकता ।
कमेटी गठित करें -- डॉ.सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह से मांग की है कि जिन विभागों व कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है उनकी जांच कराने के लिए एक कमेटी गठित की जाए । कमेटी में दिल्ली विश्वविद्यालय के बाहर से सेवानिवृत्त प्रोफेसर ,यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय से एक-एक सदस्य के अलावा डीओपीटी/लायजन ऑफिसर हो । यह कमेटी यह भी जांच करे कि इन पदों पर कितने उम्मीदवार साक्षात्कार के समय उपस्थित हुए, कितने अनुपस्थित, चयन समिति की मिनट्स में किस आधार पर इन अभ्यर्थियों को नॉट फाउंड सूटेबल किया गया है। साथ ही आरक्षित श्रेणी के ऑब्जर्वर ने अपना विरोध दर्ज मिनट्स में कराया है या नहीं ? इसकी जांच के बाद कमेटी सम्पूर्ण जानकारी मीडिया को दे ताकि पता चल सके कि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को ही नॉट फाउंड सूटेबल क्यों किया जाता है।