चित्रकला विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय की स्वर्ण जयंती वर्ष (2025) के सुअवसर पर, चित्रकला विभाग एवं केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभाग की स्थापना से लेकर अब तक के उन विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने कला क्षेत्र में शैक्षिक, शोधपरक एवं रचनात्मक योगदान दिए हैं। इन्हीं में से दूसरी पीढ़ी के कलाकारों में डॉ. ममता चतुर्वेदी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा।
जिस विश्वविद्यालय से डॉ. ममता चतुर्वेदी जी ने 44 वर्ष पूर्व अपनी कला शिक्षा पूर्ण की, उसी स्थान पर अपने कलागुरुओं के समक्ष अपने ही शिष्यों द्वारा सम्मानित होना—यह क्षण वास्तव में रोमांचक, भावनात्मक और अविस्मरणीय रहा। इस अवसर पर अपने भाव व्यक्त करते हुए ममता चतुर्वेदी जी ने कहा— “इस सुंदर परिकल्पना को साकार करने और इस सुअवसर पर गुरुजनों को इतने वर्षों बाद पुनः अभिनंदित करने का अवसर प्रदान करने हेतु मैं चित्रकला विभाग की विभागाध्यक्ष डा. अमिता राज गोयल के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ।

उनके इस विशिष्ट एवं सफल प्रयास की प्रशंसा करना वास्तव में सूरज को दीपक दिखाने के समान है।” उन्होंने आगे कहा— “इस गरिमामयी आयोजन में डा. कृष्णा महावर एवं डा. जे. पी. मीणा के अविस्मरणीय सहयोग के लिए भी मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहती हूँ।
साथ ही उन सभी आदरणीय प्रियजनों की भी आभारी हूँ जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुझे इस प्रतिष्ठित सम्मान के योग्य समझा।”अंत में अपने गुरुजनों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए ममता चतुर्वेदी जी ने भावुक होकर कहा— “जिन गुरुओं से शिक्षा ग्रहण की, आज उन्हीं के सानिध्य और आशीर्वाद में यह सम्मान प्राप्त कर मैं स्वयं को अत्यंत गौरवान्वित और धन्य अनुभव कर रही हूँ।”