फिल्म समीक्षक —सुनील पाराशर
निर्देशक विभु पुरी की फिल्म गुस्ताख इश्क पुरानी दिल्ली की महक, उर्दू की नज़ाकत और मानवीय रिश्तों की कोमलता को बड़े पर्दे पर खूबसूरती से उकेरती है। फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का दमदार अभिनय है, जो अपने किरदार में अद्भुत गहराई भर देते हैं। भले ही फिल्म के कलाकारों में दर्शकों को थिएटर तक खींचने वाला स्टार-अपील न दिखे, लेकिन सभी ने अपनी परफॉर्मेंस से कहानी को यादगार बना दिया है।


फिल्म एक गुमनाम लेकिन बेहतरीन शायर अज़ीज़ (नसीरुद्दीन शाह) की कहानी कहती है, जो दुनिया से अलग-थलग रहकर अपनी शायरी में खोया रहता है। प्रेस चलाने की जद्दोजहद में लगे नवाबुद्दीन (विजय वर्मा) उनके शागिर्द बनने का बहाना करते हैं ताकि अज़ीज़ के अशआर छापकर अपनी प्रेस को नया जीवन दे सकें। अज़ीज़ की बेटी मिनी (फातिमा सना शेख) से नवाबुद्दीन को प्यार हो जाता है और यहीं से कहानी भावनात्मक मोड़ लेने लगती है। रहस्य सामने आते ही रिश्तों की परतें खुलती हैं और फिल्म एक संवेदनशील अंजाम की ओर बढ़ती है। फिल्म का दूसरा भाग और क्लाइमेक्स विशेष रूप से प्रभावशाली हैं।
नसीरुद्दीन शाह हमेशा की तरह अपने अभिनय से स्क्रीन पर जादू बिखेरते हैं। विजय वर्मा, फातिमा सना शेख और शारिब हाशमी अपने किरदारों में पूरी शिद्दत से उतरते हैं। चारों कलाकार अपने अभिनय से साबित करते हैं कि अच्छी परफॉर्मेंस स्टारडम से कहीं बड़ी होती हैI 90 के दशक का दौर फिल्म के सेट डिज़ाइन और छायांकन के माध्यम से जीवंत हो उठता है।हितेश सोनिक का बैकग्राउंड स्कोर दिल को छू जाता है।
विशाल भारद्वाज का संगीत और गुलज़ार की पंक्तियाँ फिल्म को एक आत्मीय स्पर्श देती हैं।फिल्म की शूटिंग अमृतसर, दिल्ली और एनसीआर के खूबसूरत हिस्सों में की गई है। फैशन डिज़ाइनर से निर्माता बने मनीष मल्होत्रा के लिए यह एक मजबूत और संवेदनशील प्रस्तुति है। गुस्ताख इश्क एक नॉस्टैल्जिक, खूबसूरत और भावना से भरी फिल्म है। इसकी रफ्तार भले ही धीमी हो, लेकिन इसका असर गहरा है। अच्छी कहानी, उर्दू की मिठास और सधी हुई एक्टिंग के चाहने वालों के लिए यह फिल्म एक बेहतरीन सिनेमाई अनुभव है।
रेटिंग: ★★★★☆ (4/5)