नई दिल्ली। दीपावली से पहले दिल्ली की हवा लोगों के लिए खतरा बनता जा रही है। प्रदूषण की स्थिति बिगडऩे से हालात चिंताजनक हैं। बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता का स्तर (एआईक्यू) 328 रहा, जो कि बहुत खराब है। मुंडका में रात करीब 8 बजे एआईक्यू 999 तक पहुंच गया। यह स्तर अत्यंत गंभीर श्रेणी से कहीं ज्यादा खतरनाक है। पूर्वी दिल्ली में इहबास के पास सबसे कम एआईक्यू 73 रहा, जो संतोषजनक श्रेणी में है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, सांसें धुआं-धुआं हो रही हैं। यानी प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है।
दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगमों के प्रयासों के बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आ पा रही है। आरके पुरम में रात करीब 8 बजे पीएम 2.5 का स्तर 360, तो पीएम 10 का स्तर 542 रहा। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा में नमी का स्तर 32 फीसदी रिकॉर्ड किया गया। वहीं वीरवार को न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।
प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का चालान
राजधानी में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई और तेज कर दी गई है। परिवहन विभाग ने प्रदूषण फैलाने के आरोप में अब तक 10 हजार से अधिक वाहनों के चालान काटे हैं। यही नहीं15 साल पुराने 148 वाहन भी जब्त किए हैं। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई करने के लिए 60 टीमें काम कर रही हैं। आने वाले दिनों में यह अभियान और तेज होगा। विभाग सोशल मीडिया की मदद भी ले रहा है। परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने लोगों को ट्विटर के माध्यम से ऐसे वाहनों की जानकारी व उनकी फोटो साझा करने का अनुरोध किया है,जो प्रदूषण फैला रहे हैं। विभाग ऐसी जानकारी को कंट्रोल रूम को भेज रहा है। वहां से ऐसे वाहन मालिकों को नोटिस भी भेजा रहा है।
प्रदूषण में निकलने से बचें सांस के रोगी
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से चेतावनी पहले ही जारी की चुकी है कि लोग अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकले। अस्थमा के रोगियों को खास हिदायत दी गई है। सांस लेने और सीने में दर्द होने पर घर के बाहर नहीं निकलने के लिए जोर देकर कहा गया है। मास्क लगाने की सलाह भी चिकित्सक दे रहे हैं।
अस्पतालों में मरीजों की बढ़ी तादाद
राजधानी के वातावरण में जैसे-जैसे प्रदूषण हावी हो रहा है, वैसे ही बीमारियों का भी जोर बढ़ता जा रहा है। हृदय और सांस की बीमारी से संबंधित रोगियों की तादाद अस्पतालों में भी बढ़ती जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह है कि प्रदूषण के प्रभाव से बचने के लिए हृदय और सांस संबंधित रोगों से प्रभावित मरीजों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। वहीं स्वस्थ लोगों को भी जरूरी अहतिहात बरतने की जरूरत है। एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक एम्स में सामान्य के मुकाबले सांस के मरीजों की तादाद बढ़ी है। एम्स स्वास्थ्य और प्रदूषण के दुष्प्रभावों को लेकर एक अध्ययन भी कर रहा हे। अध्ययन के जरिए प्राप्त प्राथमिक आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि प्रदूषण बढऩे की स्थिति में इमरजेंसी में 10 से 20 प्रतिशत तक मरीजों की तादाद में बढ़ोत्तरी होती है।
डॉ. गुलेरिया के मुताबिक प्रदूषण का प्रभाव हृदय और सांस से संबंधित मरीजों के दाखिले की तादाद बढ़ाने वाला साबित होता है। एम्स इस अध्ययन को पटेल चेस्ट, कलावती शरण और दो अन्य अस्पतालों के साथ इस अध्ययन में जुटा हुआ है। अध्ययन के जरिए यह जानने की कोशिश की जा रही है कि प्रदूषण का बच्चों और व्यस्कों के स्वास्थ्य पर किस कदर प्रभाव पड़ता है। यह भी आकलन किया जा रहा है कि सामान्य और प्रदूषण के प्रभावी रहते इन पांच अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की तादाद में किस तरह के अंतर हैं। अध्ययन से संबंधित रिपोर्ट दिसम्बर में आने की संभावना है। विशेषज्ञ प्रदूषण की स्थिति में बचाव के उपाय पर इसलिए भी जोर देते हैं क्योंकि इसके प्रभाव से नेजल इंजरी होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे एक स्वस्थ्य मरीज विभिन्न तरह के सांस संबंधित बीमारियों के साथ हृदय और फेफड़े से संबंधित रोगों का भी शिकार बन सकता है।