
जन्मदिन पर विशेष
विवेक शुक्ला
कभी-कभी सोचता हूं कि अगर कमलजीत सिंह मेरे और मेरे जैसे मीडिया की दुनिया के अनगिनत साथियों के जीवन में ना आते तो हम कहां होते। वे संकट मोचक हैं। हर संकट में दोस्तों के साथ चट्टान की तरह खड़े रहते हैं। रात को दो बजे भी उन्हें फोन करेंगे तो वे फौरन जवाब देंगे। हम मीडिया वालों के साथ एक बड़ी दिक्कत यह है कि हम अपने आसपास रहने वाले फरिश्तों के अलावा सबकी बात करते हैं, उन पर लिखते हैं। आज कमलजीत वीर जी पर उनकी साल गिरह पर लिख कर मैं अपने को खुश किस्मत मान रहा हूं।
वे असाधारण मनुष्य हैं। हर हाल में सच्चाई के रास्ते पर चलने की प्रेरणा उन्हीं से मिलती है मुझे। वीर जी का सारा जीवन संघर्ष से सफलता की बुलंदियों को छूने का रहा है। उन्होंने टाइम्स आफ इंडिया- नवभारत टाइम्स में एक लेबर के रूप में काम करना शुरू किया था। उसके बाद वहां करीब साढ़े चार दशकों तक नौकरी की। अपने को एक बेहतरीन फोटो जर्नलिस्ट के रूप में स्थापित किया। आपने वीर जी की नवभारत टाइम्स, सांध्य टाइम्स और Times of India में दर्जनों बार फोटो को देखा होगा। उन्होंने टाइम्स ग्रुप के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में सामान्य लेबर के रूप में नौकरी शुरू की थी। उसके बाद ड्राइवर बने, प्रूफ रीडर की जिम्मेदारी को बखूबी संभाला और फिर फोटोग्राफर बन गए। उन्होंने सांप्रदायिक दंगों से लेकर कई बड़ी अहम घटनाओं को अपने कैमरे में कैद किया। यह सब करते हुए उन्होंने बीए और फिर एमए भी कर ली। कुछ समय टाइम्स आफ इंडिया, मुंबई में भी रहे। मुंबई में भी उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है।
मुझे वीर के साथ दिल्ली- एनसीआर में कार में घूमते हुए रश्क होता है। उन्हें हरेक सड़क, मोहल्ले और गली की जानकारी है। जीपीएस गलत हो सकता है,पर वीर जी नहीं। वे यहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। उन्हीं की तरह कांग्रेस के गुजरे जमाने के नेता रमेश दत्ता भी थे। उन्हें भी यहां के सड़कों और रास्तों की गजब की समझ थी। वीर जी ने रिपोर्टिंग के दौरान तबीयत से नापा है इस शहर की सड़कों को।
वीर जी की कोशिशों से कम से कम दो दर्जन पत्रकारों को दिल्ली-एनसीआर में अपने घर नसीब हुए। उन्होंने दोस्तों को आड़े वक्त में पैसा दिया ताकि वे अपने घर का ख्वाब पूरा कर लें। वीर जी ने घर दिलवाने से पहले साथियों को रेंट पर घर दिलवाए या अपने घर में रहने को एक या दो कमरे दे दिए। वीर जी के कद्रदानों में दिलीप पड़गांवकर, एस.पी. सिंह, विष्णु खरे जैसे एडिटर भी रहे हैं।
वीरजी के परम मित्र थे दिल्ली के लोक निर्माण मंत्री अशोक वालिया। वालिया जी को वीर जी ने सलाह दी कि राजधानी में इस तरह के फ्लाई ओवर बने जिनमें बीच में भी यू टर्न की गुंजाइश हो। इससे ट्रैफिक का फ्लो बेहतर हो जाएगा। वालिया जी को यह सलाह पसंद आई। फिर जब तक वालियाजी दिल्ली सरकार के लोक निर्माण मंत्री रहे उस दौरान जो भी फ्लाई ओवर बने उनमें बीच में भी यू टर्न दे दिये गये। उनकी सलाह पर सबसे पहले मोती बाग और कश्मीरी गेट के फ्लाईओवर पर यू टर्न बने।
वीरजी टाइम्स ग्रुप की नौकरी के बाद भी पहल की तरह से एक्टिव हैं। वे एक बड़ी ट्रांसपोर्ट कंपनी के मालिक हैं। महीना खत्म होने से पहले ही अपने मुलाजिमों को सैलरी दे देते हैं। उनके मुलाजिम उन पर जान निसार करते हैं। वड्डे वीर जी नू जन्म दिन की लख – लख मुबारकां। खैर होवे। कमलजीत जी।