शनिवार दिनांक 27.10.18 को कार्तिक कृष्ण चतुर्थी करवा चौथ मनाया जाएगा। इस दिन अखंड सौभाग्य कि प्राप्ति के लिये गौरी, शिव, गणेश, कार्तिकेय सहित चंद्रमा का पूजन किया जाता है। सौभाग्यवती स्त्रियां अटल सुहाग, पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य एवं मंगलकामना के लिए यह व्रत करती हैं। वामन पुराण में करवा चौथ के व्रत का वर्णन मिलता है। करवा चौथ मूलत: देवी गौरी के करवा स्वरूप को समर्पित है। दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित कर “वर” बनाते हैं। पीली मिट्टी से गौरी व उनकी गोद में गणेश जी बनाकर बिठाए जाते हैं। गौरी का पूजन कर उन्हे 16 श्रृंगार चढ़ाए जाते हैं। रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाते हैं। करवा पर 13 बिंदी रखकर 13 चावल के दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कही जाती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द व सुहाग की सामग्री का दान किया जाता है। सास के पांव छूकर फल, मेवा व सुहाग की सारी सामग्री उन्हें दी जाती है। रात्रि में चंद्रोदय के उपरांत छलनी की ओट से चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देकर जीवनसाथी के दर्शन करने के बाद ही दंपत्ति अन्न-जल ग्रहण करते हैं। करवा चौथ के विशेष पूजन, व्रत और उपय से जीवनसाथी को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है, माता गौरी से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है, सुहाग की रक्षा होती है तथा सुंदरता और आकर्षण में वृद्धि होती है।
प्रातः स्पेशल पूजन विधि: मध्यान के अभिजीत मुहूर्त में शिवालय जाकर माता गौरी का संकल्प मंत्र लेकर विधिवत शिव परिवार का पंचोपचार पूजन करें। शिव परिवार पर धूप, दीप, पुष्प, गंध और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद पूरे दिन व्रत का पालन करें।
संकल्प मंत्र: मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
अभिजीत मुहूर्त: दिन 11:42 से दिन 12:26 तक।
संध्या स्पेशल पूजन विधि: संध्याकाल में घर की दक्षिण दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर शिव परिवार के चित्र सहित करवा स्थापित कर माता गौरी का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। गाय के घी का दीपक जलाएं, चंदन की धूप करें, लाल फूल चढ़ाएं, 16 श्रृंगार चढ़ाएं, रोली से करवा पर स्वस्तिक बनाएं, करवा पर 13 बिंदी रखकर 13 चावल के दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें। 8 पूरियों की अठावरी व हलुए का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद अठावरी व हलुआ किसी सुहागन को दान दें। चंद्रोदय के समय छलनी की ओट से चंद्र दर्शन कर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य दे तथा जीवनसाथी के दर्शन करने के बाद दंपत्ति अन्न-जल ग्रहण करें।
संध्या पूजन मुहूर्त: शाम 18:38 से 20:00 तक।
चंद्र दर्शन व पूजन मुहूर्त: रात 20:00 से रात 21:00 तक।
पूजन मंत्र: ॐ गौर्यै नमः॥
अखंड सौभाग्य के लिए: रुद्राक्ष की माला से “ॐ शिवकाम्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
सुहाग की रक्षा के लिए: देवी गौरी पर 16 श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाकर अपनी सुहागन सास या किसी सुहागन वृद्ध ब्राह्मणी को भेंट करें।
सुंदरता में वृद्धि के लिए: देवी गौरी पर चंदन चढ़ाकर उपयोग में लें।
सुखी दांपत्य के लिए मां गौरी पर 13 लाल बिंदी चढ़ाकर किसी सुहागन ब्राह्मणी को भेंट करें।
जीवनसाथी के अच्छे स्वास्थ के लिए: दूध में शहद व सिंदूर मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।