गोरखपुर (उप्र)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सुझाव दिया कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के शताब्दी-वर्ष 2032 तक गोरखपुर को ‘सिटी आफ नालेज’ के रूप में विकसित किया जायें। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, गोरखपुर के ‘संस्थापक सप्ताह समारोह’ के मुख्य महोत्सव को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग डेढ़ दशक बाद 2032 में ‘परिषद’ का ‘शताब्दी वर्ष’ मनाया जाएगा। मेरा सुझाव है कि ‘परिषद’ के ‘शताब्दी वर्ष’ तक सुविचारित योजनाओं और प्रयासों के बल पर गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ नॉलेज’ के रूप में स्थापित करने का आप सभी को संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान राष्ट्रीय-स्वाभिमान से जुड़ी आधुनिक शिक्षा प्रदान करने का एक अभियान शुरू हुआ। महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित ‘बीएचयू’ से लेकर महंत दिग्विजय नाथ द्वारा ‘महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद’ की स्थापना उसी शिक्षा-अभियान के ज्वलंत उदाहरण हैं। सन 1932 में इस ‘परिषद’ की स्थापना गोरखपुर तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा के विकास को गति और दिशा प्रदान करने में मील का पत्थर साबित हुई है। राष्ट्रपति ने गोरखपुर के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि बीसवीं सदी में, भारतीय दर्शन और क्रिया योग के प्रति देश और विदेश में आकर्षण उत्पन्न करने वाले परमहंस योगानंद का जन्म गोरखपुर में ही हुआ था। हज़रत रोशन अली शाह जैसे संतों; मोहम्मद सैयद हसन, बाबू बंधु सिंह और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे शहीदों की स्मृतियों से जुड़ा यह गोरखपुर क्षेत्र बाबा राघव दास जैसे राष्ट्र-सेवी संत और महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की कर्म-स्थली भी रहा है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के कथा-संसार में हमें गोरखपुर, खासकर यहाँ के ग्रामीण अंचल की झलक दिखाई देती है। फिराक ‘गोरखपुरी’ ने इस शहर के नाम को उर्दू साहित्य में अमर कर दिया है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर में स्थित ‘गीता प्रेस’ ने आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को प्रसारित करने वाला प्रामाणिक साहित्य उपलब्ध करा के अपना अतुलनीय योगदान दिया है। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।