गाजीपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए शनिवार को कहा कि वोट बटोरने के लिए लुभावने वायदों का हश्र मध्य प्रदेश और राजस्थान में दिखने लगा है और वहां काला बाजारी करने वाले मैदान में आ गये हैं। मोदी ने महाराज सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी करने और गाजीपुर में राजकीय मेडिकल कालेज का शिलान्यास करने के बाद एक जनसभा में कहा, ‘वोट बटोरने के लिए लुभावने उपायों का हश्र क्या होता है वह अभी मध्य प्रदेश और राजस्थान में दिख रहा है।’ उन्होंने कहा कि सरकार बदलते ही वहां अब खाद और यूरिया के लिए कतारें लगने लगी हैं । लाठियां चलने लगी हैं और काला बाजारी करने वाले मैदान में आ गये हैं।
मोदी यहीं नहीं रूके, बल्कि कांग्रेस को ‘लालीपाप’ पकड़ाने वाली पार्टी बताया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में लाखों किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया गया था… ये सच्चाई समझिये… कर्नाटक में अभी अभी कांग्रेस ने पिछले दरवाजे से सरकार बनायी। लालीपाप पकड़ा दिया था… कर्ज माफी का वायदा किया था। उन्होंने कहा कि लाखों किसानों का कर्ज माफ होना था लेकिन किया कितना? बताउं… आप हैरान हो जाएंगे। लाखों किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया गया। वोट लिये गये और पिछले दरवाजे से सरकार बना ली गयी। लेकिन दिया सिर्फ 800 लोगों को। ये कैसे वादे, ये कैसे खेल, किसानों के साथ कैसा धोखा हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए जो वादे किये जाते हैं और जो फैसले लिये जाते हैं, उनसे देश की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। 2009 के चुनाव से पहले क्या हुआ था, आप सभी उसके साक्षी हैं। 2009 के चुनाव के पहले भी ऐसे ही लालीपाप पकडाने वालों ने कर्ज माफी का वादा किया था। देश भर के किसानों की कर्ज माफी का वादा किया था। उन्होंने कहा कि मैं यहां के किसानों से पूछना चाहता हूं कि क्या आपका कर्ज माफ हुआ… आपके खाते में पैसा आया क्या… आपको कोई मदद मिली क्या।
मोदी ने कहा कि वादा किया, फिर सरकार बनी लेकिन किसानों को भुला दिया गया। उन्होंने भीड़ से सवाल किया कि लालीपाप कंपनी पर भरोसा करोगे क्या? झूठ बोलने वालों और जनता से धोखा करने वालों पर भरोसा करोगे क्या? चौकीदार की वजह से कुछ चोरों की रातों की नींद उड़ गयी है। आपके आशीर्वाद से एक दिन ऐसा आएगा, जब इन चोरों को सही जगह पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि तब किसानों पर छह लाख करोड़ रूपये का कर्ज था लेकिन सरकार बनने के बाद ड्रामेबाजी की गयी और किसानों की आंख में धूल झोंकी गयी। छह लाख करोड रूपये का कर्ज था और माफ किये गये सिर्फ सात हजार करोड रूपये। जब सीएजी (भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट आयी तब पता लगा कि उसमें से भी बहुत बड़ी रकम ऐसे लोगों के घर में गयी जो ना किसान थे, जिन पर ना कर्ज था और जो ना ही कर्ज माफी के हकदार थे।