नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय सेनाओं के लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं की शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच कराने के लिये दायर जनहित याचिका पर विचार से सोमवार को इंकार कर दिया। यह याचिका हाल ही में बेंगलुरू में भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण विमान मिराज-2000 के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना के परिप्रेक्ष्य में दायर की गयी थी। इस हादसे में वायुसेना के दो पायलट मारे गये थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका खारिज इंकार करते हुये कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं हो सकती। पीठ ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं कर सकता।’’ पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव से सवाल किया, ‘‘ये मिराज विमान किस पीढ़ी के थे?’’ परंतु वह इसका जवाब नहीं दे सके। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘मिराज विमान लड़ाकू विमानों की 3.5वीं पीढ़ी के थे। आपको तथ्यों की जानकारी नहीं है लेकिन आप न्यायिक जांच चाहते हैं।’’ इसके साथ ही पीठ ने याचिका खारिज कर दी। याचिका में केन्द्र को यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि इस तरह की विमान दुर्घटनायें भविष्य में नहीं हों। याचिका में मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया था 2015-16 से भारतीय वायु सेना के 35 विमान और हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुये हैं और इनमें 45 जानें गयी हैं।