राष्ट्रीय संत वसंत विजय महाराज के शिव दरबार में सनातन धर्म के मंत्रों की शक्ति का दिव्य दर्शन

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# कहीं बार कुमकुम तो कहीं जले दीपक, भक्तों को हुए देवताओं के दर्शन 

 

#मां-बाप की सेवा-सम्मान करोगे तो जीवन भर मिलेगी सुख-शांति समृद्धि

 

नई दिल्ली, छतरपुर, 16 अगस्त 

 

श्री कृष्णगिरि पार्श्वभूमि पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम शक्तिपीठाधिपति मंत्र शिरोमणि राष्ट्रीय संत परम पूज्य गुरुदेव श्री वसंत विजय जी महाराज के सानिध्य में 55वें दिव्य शिव महापुराण, यज्ञ, अद्वितीय रुद्र अलंकरण महाउत्सव का आज छठे दिन आगमन हुआ। रविवार को छतरपुर मार्कंडेय हॉल में शिव कथा, यज्ञ में सनातन मंत्रों की शक्ति का दिव्य दर्शन मिला। राष्ट्रीय संत वसंत विजय महाराज के शिव दरबार में चमत्कारों की मूर्ति लग गई। चमत्कार का दृश्य यह था कि कथा छोड़ो तो देश और विदेश तक छोड़ो कहीं कुमकुम बार तो कहीं अपने आप ही दीपक प्रज्वलित हो उठो। विभिन्न भक्तों को अपने ईष्ट देवता कुलदेवी देवताओं के साक्षात् दर्शन मिले। किसी को भगवान शिव तो किसी को भगवान कृष्ण के दर्शन। इसके अलावा भक्तों के अलावा लक्ष्मी मां मेहरबान भी गायब हो गईं। 

शिव दरबार में आज कथा की शुरुआत राष्ट्रीय गान से हुई। संत बसंत विजय जी महाराज साहेब द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। गुरुदेव ने हज़ारों की संख्या में शिव दरबार में आज बालाजी के विरोधियों की भीड़ को एक अकाट्य मंत्र दिया। गुरुदेव ने कहा था कि यह विशेष मंत्र कवच बहुत ही शक्तिशाली तरीके से काम करता है। उन्होंने कहा कि मां बाप का सम्मान और सेवा करोगे तो जीवन में सुख शांति समृद्धि मिलेगी। क्योंकि यदि आपकी कुंडली में सूर्य है तो पिता अनादर है और यदि चंद्रमा है तो मनुष्य अनादर है। माँ-बाप का अनादर करने वाला व्यक्ति दर-दर की चुनौती खाता है। 

 

संत वसंत विजय महाराज साहेब ने कथा व्यास पीठ से यह चुनौती दी कि सनातन धर्म का मंत्र शक्तिशाली है, खाली मंत्र प्रार्थना से पुराने की बीमारी, भूत प्रेत, जादू मंत्र, टोने टोके जैस मंत्र और बच्चों का क्षण में लाभ होता है। संत ने कहा कि वे दो मिनट में सिर, पेट, दर्द की बीमारी से अधमरे हो सकते हैं। 

 

छतरपुर मार्कंडेय हाल में आयोजित शिव कथा, यज्ञ में हर रोज भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इन पांच दिनों में गुरुदेव ने हजारों भक्तों को कमर, दर्द, सिरदर्द और अन्य समस्याओं से लेकर उपकरण दिलकर तक स्वस्थ किया। 11 अगस्त से शुरू हुआ यह महाउत्सव 5 जनवरी 2023 तक। इस महाउत्सव के सभी कार्यक्रम पूर्णतया मुफ्त हैं।

55 दिव्य महाउत्सव में 1 करोड़ 11 लाख से अधिक तीर्थों का निर्माण किया जाएगा। पांच दिन में हजारों भक्तों ने लाखों शिवलिंगों का निर्माण कर उनकी पूजा-अर्चना की। बता दें कि अपने हाथों से बनाए गए मूर्तियों की ही पूजा कर अपने जीवन को शिव भक्ति में धन्य बना रहे हैं। खास बात यह है कि पौराणिक मूर्ति बनाने वाले भक्तों से एक भी पैसा नहीं लिया जा रहा है। 10 करोड़ मंत्रों से सिद्ध दिव्य दिव्य शिवलिंग का अमोघ अभिषेक चल रहा है। प्रतिदिन सुबह से शाम तक दिव्य शिवलिंग के दर्शन एवं अभिषेक के लिए प्रतिदिन सुबह से शाम तक भगवान का हुजूम तीर्थ आ रहा है। काशी से 25 विद्वान पंडितों द्वारा 24 घंटे रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जा रहा है।

 

55वें दिव्य महाउत्सव में भंडारे का भी आयोजन हो रहा है। जिसमें हर रोज हजारों लोग ग्यान भंडारे में प्रसाद पा रहे हैं। बता दें कि गुरुदेव महाराज का जहां भी सत्संग कार्यक्रम होता है, जिसमें नर्क देवी भागवत हो, या भैरव महापुराण हो, शिवमहापुराण कथा कार्यक्रम हो, हर स्थान भंडारे का आयोजन होता है जिसमें लाखों लोग हर रोज भोजन प्रसादी लेते हैं।

 

कथा पंडाल में ही हो रहे महायज्ञ में हर रोज हजारों दैवीय मंत्रों के साथ मंत्र शिरोमणि संत श्री वंसत विजय जी महाराज साहेब स्वयं मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ करा रहे हैं। इस यज्ञ में हर रोज हजारों बच्चे मेवे, घी, शहद और दिव्य औषधियों के मंत्रों के साथ आहुतियां दी जा रही हैं। बता दें कि सनातन धर्म में यज्ञ का न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक लाभ भी है। यज्ञ के दौरान मंत्रों के उच्चारण से एक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पादन है जो आपके शरीर के चक्रों को शुद्ध करता है यज्ञ आपको मानसिक शांति प्रदान करने का काम करता है।

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