विज्ञान जनक डॉ. विक्रम साराभाई को मिलना चाहिए ‘‘भारत रत्न’’

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– श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र-

भारत के चन्द्रयान-3 मिशन के अंतर्गत लैंडर विक्रम का चांद के दक्षिणी ध्रव की सतह पर सफलतापूर्वक उतरना एक भारत के लिए तो निश्चित ही एक अपूर्व ऐतिहासिक उपलब्धि है ही, साथ ही पूरी मानव जाति के लिए भी यह गौरवपूर्ण उपलब्धि है। इसका मुख्य श्रेय भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, एकाग्रता और इच्छाशक्ति को जाता है। श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि अद्वितीय विजय की यह घड़ी जैन समाज के प्रतिभा-पुरुष डॉ. विक्रम साराभाई के बुनियादी योगदान को याद करने का भी अवसर है। उन्हीं के योगदान का सम्मान करते हुए लैंडर का नाम ‘विक्रम’ रखा गया। एक संपन्न और धर्मनिष्ठ जैन परिवार में जन्में डॉ. साराभाई ने अपनी संपन्नता व बहुआयामी योग्यता को देश के लिए समर्पित कर दिया। अंतरिक्ष विज्ञान को खड़ा करने में उन्होंने तन, मन, धन और जीवन लगा दिया। राष्ट्र हितकारी अनेक संस्थानों के निर्माता भविष्यद्रष्टा वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई के पराक्रम का ही फल है कि आज चांद पर तिरंगा लहरा रहा है। डॉ. साराभाई ने मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों का भी निर्माण किया। आज देश में वैज्ञानिक चेतना का संचार करने की जरूरत है, जिससे देश अंधविश्वासों के कूप से बाहर निकले।

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