गढ़वाली नाटक अपुण-अपुण सर्ग का नाट्य मंचन

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गढ़वाली, कुमाउँनी एवं जौनसारी अकादमी, दिल्ली तथा दि हाई हिलर्स ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में सुरेश नौटियाल और दिनेश बिजल्वाण द्वारा रचित गढ़वाली नाटक अपुण-अपुण सर्ग ‘अपना-अपना स्वर्ग’ का नाट्य मंचन नाटक निर्देशक हरि सेमवाल के निर्देशन में एल.टी.जी. सभागार, कॉपरनिकस मार्ग, निकट मंडी हाउस, नई दिल्ली में किया गया।
भविष्य की चिंताओं का दर्पण यह नाटक वर्तमान पर्वतीय जन-जीवन का सूक्ष्म कोलाज और भविष्य की चिंताओं का दर्पण है। यह प्रवासियों की अनंत पीड़ा का उद्वेग-चित्र भी है। संपादक अचलानंद सती इस नाटक का केंद्रीय पात्र है और उसी को केन्द्र में रखकर मुख्य कथा का तानाबाना बुना गया है। यह नाटक पहाड़ या घर वापसी के सन्देश के साथ समाप्त होता है साथ ही गढ़वाली नाटकों को एक नई दिशा देने की ओर मोड़ने का संकेत भी देता है। नाटक के संवादों में पहाड़ी जीवन के चलचित्र दिखाई देते हैं और ‘गारे’ का बिम्ब पूरे नाटक को एक अलग ही धरातल पर ला खड़ा करता है। यह नाटक अनेक स्तर पर गढ़वाली नाट्य परम्परा में पैराडाइम शिफ्ट की ओर इंगित करता है।
नाटक में सूत्रधार की भूमिका में उमेश बंदूनी, अचलानंद सती-बृजमोहन वेदवाल, अन्नपूर्णा सती-सविता पंत, सिद्धार्थ टम्टा-धर्मवीर सिंह रावत थे।
कार्यक्रम के अंत में गढ़वाली, कुमाउँनी और जौनसारी अकादमी, के सचिव संजय गर्ग ने सभी अतिथियों, कलाकारों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया।

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