राष्ट्र निर्माण पर आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने पर किया गया फोकस

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स्लोवेनिया पूर्व प्रधानमंत्री अलोज्ज पीटरले ने भी दर्ज कराई उपस्थिति

दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में राष्ट्र निर्माण पर एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र कैसे बना सकते हैं, इस पर फोकस करते हुए शिखर सम्मलेन में चर्चा की गई। इस सम्मेलन में स्लोवेनिया के पूर्व प्रधानमंत्री अलोज्ज पीटरले विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। यह कार्यक्रम पूर्व मुख्य चीफ पोस्ट मास्टर जनरल भारत सरकार जॉन सैमुअल के नेतृत्व में फाउंडेशन ऑफ लीडरशिप एंड गवर्नेंस द्वारा आयोजित किया गया।

जॉन सैमुअल ने सम्मेलन में कहा, “भारत अपने इतिहास में एक रोमांचक, लेकिन विशिष्ट रूप से चुनौतीपूर्ण चरण में प्रवेश कर रहा है। प्रधान मंत्री ने घोषणा की है कि भारत 2047 तक विकसित देश का दर्जा हासिल कर लेगा। अपनी भविष्य की महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए, भारत खुद को एक बड़े पैमाने पर कृषि प्रधान, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था से सेवाओं, उन्नत विनिर्माण और उद्योग 4.0 हब में परिवर्तित कर रहा है, जिससे खुद को पूरा लाभ उठाने की स्थिति मिल रही है।”

जॉन ने बताया कि सम्मेलन में मानव बुनियादी ढांचे का निर्माण, सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण, भौतिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, 21वीं सदी के लिए अर्थव्यवस्था का निर्माण जैसे क्षेत्र जिन पर राष्ट्र निर्माण को लेकर आगे बढ़ा जा सकता है। इस पर इस शिखर सम्मेलन में चर्चा की गई। जॉन ने बताया कि सम्मेलन में शामिल लोगों को विशेष अतिथि पीटरले की उपलब्धियों से भी परिचित कराया गया। जिससे उनकी उपब्धियों से सीख लेकर भारत को विकसित देश बनाने पर कार्य किया जा सके।

बता दें कि मई 1990 में डेमोस गठबंधन के विजयी होने पर श्री पीटरले स्लोवेनिया के पहले लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधान मंत्री बने। उन्होंने पहले नवगठित एसकेडी-स्लोवेनियाई क्रिश्चियन डेमोक्रेट पार्टी की अध्यक्षता संभाली थी। उनके नेतृत्व ने एक ऐतिहासिक अवधि को चिह्नित किया, जिसकी परिणति जून 1991 में स्लोवेनिया की स्वतंत्रता की घोषणा में हुई।

प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अलावा पीटरले ने उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने 1993 से 2009 तक यूरोपीय नेतृत्व में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। उनके कूटनीतिक कौशल दुनिया भर के मिशनों और चुनाव टिप्पणियों में स्पष्ट थे। इसके अतिरिक्त पीटरले ने यूरोपीय आयोग में प्रभावशाली एमएसी समूह के अपने नेतृत्व के माध्यम से कैंसर जागरूकता का समर्थन किया। पीटरले की विरासत को स्लोवेनिया के प्रारंभिक लोकतंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका, यूरोपीय राजनीति और कूटनीति में उनकी प्रभावशाली उपस्थिति और कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के प्रति उनके समर्पण द्वारा चिह्नित किया गया है।

उन्हें अपने काम के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें स्लोवेनिया गणराज्य की स्वतंत्रता का मानद चिन्ह, एलोइस मॉक यूरोपा रिंग, यूरोपियन ऑफ द ईयर 2003 (यूरोपीय आवाज) और द रॉबर्ट शूमन मेडल शामिल हैं, जो शांति की स्थापना के लिए काम करने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। उनके अलावा अन्य व्यापारिक नेता, शैक्षिक नेता और सामाजिक नेता भी रहे जिन्होंने राष्ट्र निर्माण पहल पर चर्चा की।

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