
इंद्र वशिष्ठ
नई दिल्ली, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता/मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को गिरफ्तार कर लिया। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद इंदिरा गांधी एअरपोर्ट, नई दिल्ली पहुंचने पर राणा को गिरफ्तार किया गया।
एनआईए ने कई वर्षों के निरंतर और ठोस प्रयासों के बाद राणा का प्रत्यर्पण सुनिश्चित किया था। आतंकी सरगना/मास्टरमाइंड राणा द्वारा अमेरिका से प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के अंतिम प्रयास भी विफल रहे थे।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा(64) को अमेरिका के लॉस एंजिल्स से एक विशेष विमान में एनएसजी और एनआईए की टीमों द्वारा 10 अप्रैल को नई दिल्ली लाया गया। एनआईए की जांच टीम ने हवाई अड्डे पर सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद शिकागो (अमेरिका) में रहने वाले राणा को विमान से उतरते ही गिरफ्तार कर लिया।
भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के समन्वित प्रयासों के साथ-साथ अमेरिका में संबंधित अधिकारियों के साथ, एनआईए ने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के दौरान अन्य भारतीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है, जो आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों में एक बड़ा कदम है, चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में भाग गए हों।
भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत एनआईए द्वारा शुरू की गई कार्यवाही के तहत राणा को अमेरिका में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। राणा के विभिन्न मुकदमों और अपीलों, जिनमें यू.एस. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन भी शामिल है, को यू.एस. न्याय विभाग के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के कार्यालय, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के लिए यू.एस. अटॉर्नी कार्यालय, यू.एस. मार्शल सेवा, नई दिल्ली में एफ.बी.आई. के कानूनी अटैची कार्यालय और यू.एस. राज्य विभाग के कानून प्रवर्तन के लिए कानूनी सलाहकार कार्यालय की सक्रिय सहायता से खारिज कर दिए जाने के बाद आखिरकार प्रत्यर्पण हो पाया। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के मेहनती और लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप भगोड़े राणा के लिए आत्मसमर्पण वारंट हासिल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसका अंततः प्रत्यर्पण हुआ।
राणा पर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी और नामित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हूजी) के गुर्गों के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित अन्य सह-षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर 2008 में मुंबई में हुए विनाशकारी आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है। घातक हमलों में कुल 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए।
भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत एलईटी और एचयूजेआई दोनों को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।