

VASTU CONSULTANT MBA,
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो हमें अपने आसपास के वातावरण के साथ सामंजस्य बिठाने की शिक्षा देता है। यह न केवल हमारे घरों और कार्यालयों के डिज़ाइन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित करने में भी मदद करता है।
वास्तु शास्त्र के मूल सिद्धांत
- प्रकृति के साथ सामंजस्य: वास्तु शास्त्र हमें अपने भवनों को प्रकृति के साथ सामंजस्य में बनाने की सलाह देता है, जैसे कि सूर्य की दिशा और हवा के प्रवाह को ध्यान में रखना।
- ऊर्जा का संतुलन: वास्तु शास्त्र का उद्देश्य भवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देना और नकारात्मक ऊर्जा को कम करना है।
- पांच तत्वों का संतुलन: वास्तु शास्त्र में पांच तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – का संतुलन महत्वपूर्ण है।
आधुनिक जीवन में वास्तु शास्त्र की प्रासंगिकता
- तनाव मुक्त जीवन: वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके, हम अपने घरों और कार्यालयों में तनाव मुक्त और शांतिपूर्ण वातावरण बना सकते हैं।
- स्वास्थ्य और उत्पादकता: वास्तु शास्त्र के अनुसार डिज़ाइन किए गए भवन में प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का महत्व है, जो हमारे स्वास्थ्य और उत्पादकता को बढ़ावा देता है।
- स्थिरता और ऊर्जा दक्षता: वास्तु शास्त्र के सिद्धांत हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने और ऊर्जा की बचत करने में मदद करते हैं।
वास्तु शास्त्र को आधुनिक डिज़ाइन में शामिल करना
- बड़े खिड़कियों का उपयोग: बड़े खिड़कियों का उपयोग करके प्राकृतिक प्रकाश को बढ़ावा देना और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करना।
- हरियाली और जल सुविधाएं: घरों और कार्यालयों में हरियाली और जल सुविधाएं शामिल करके शांतिपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाना।
- वास्तु विशेषज्ञों की सलाह: वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को आधुनिक डिज़ाइन में शामिल करने के लिए वास्तु विशेषज्ञों की सलाह लेना l
आतुशी कक्कड़
वास्तु कंसलटेंट
एमबीए,
पीएचडी-सी वास्तु, एमए वास्तु शास्त्र,
वास्तु विशारद, वास्तु अलंकार
मोबाइल : 9891377963
https://www.facebook.com/vastu.atushi
https://www.instagram.com/vastu_expert_atushi