भारत में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर 30% टैक्स और 1% TDS को लेकर उद्योग जगत ने बदलाव की मांग तेज कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा टैक्स व्यवस्था से घरेलू क्रिप्टो ट्रेडिंग विदेशी प्लेटफॉर्म की तरफ शिफ्ट हो रही है और भारतीय एक्सचेंजों की तरलता प्रभावित हुई है। TIOL नॉलेज फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 2022–23 में सरकार को TDS से केवल ₹158 करोड़ और 2023–24 में ₹180 करोड़ मिले, जबकि VDA पर कुल कैपिटल गेन टैक्स ₹706.52 करोड़ रहा। 2024–25 में घरेलू एक्सचेंजों द्वारा ₹450 करोड़ TDS जमा होने का अनुमान है, लेकिन यह भी अपेक्षित क्षमता से कम है। विशेषज्ञों ने TDS को 1% से घटाकर 0.01% करने और इसे पूरी तरह क्रेडिट योग्य बनाने की सिफारिश की है। साथ ही, सरकार से OECD के क्रिप्टो एसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (CARF) को अपनाने की अपील की गई है, ताकि विदेशी एक्सचेंजों पर भी समान नियम लागू हों।
उद्योग का मानना है कि बजट 2026 में धारा 194S में संशोधन,
VDA हानियों के सेट ऑफ की अनुमति और विदेशी प्लेटफॉर्म पर कड़े प्रवर्तन से घरेलू बाजार में तरलता लौटेगी और राजस्व संग्रह स्थिर होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि संतुलित और पारदर्शी नीति भारत को वैश्विक डिजिटल एसेट विनियमन में अग्रणी बना सकती है।