दाभोल/एनटीपीसी मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन धरना
दाभोल/एनटीपीसी से जुड़े 96 पूर्व सैनिकों ने शुक्रवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान 24 वर्षों से लंबित वेतन और पेंशन के मुद्दे पर सरकार और संबंधित संस्थानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। पूर्व सैनिकों ने साफ शब्दों में कहा कि अब और इंतजार नहीं किया जाएगा और यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू करेंगे।
मुंबई से आए वरिष्ठ पूर्व सैनिकों ने मीडिया के सामने पूरे मामले से जुड़े दस्तावेज पेश किए। उन्होंने बताया कि वर्षों तक सेवा देने के बावजूद संबंधित संस्थानों ने न तो वेतन दिया और न ही पेंशन। इसका सीधा असर आज उनकी जिंदगी पर पड़ रहा है। कई पूर्व सैनिक बुज़ुर्ग हो चुके हैं और इलाज, भोजन व आवास जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

पूर्व सैनिकों ने कहा कि “जय हिंद, जय जवान” उनके लिए केवल नारा नहीं, बल्कि पहचान है। लेकिन आज वही सैनिक अपने हक के लिए सड़कों पर आने को मजबूर हैं। वक्ताओं ने इसे सिस्टम की गंभीर विफलता बताया।
प्रेस वार्ता के दौरान जब पत्रकारों ने लगातार सवाल किए, तो कई पूर्व सैनिक भावनात्मक हो गए। 24 वर्षों के इंतज़ार और लगातार संघर्ष की पीड़ा शब्दों में उतर आई। इसी भावनात्मक क्षण में कुछ पूर्व सैनिकों ने यह कहते हुए अपने ऊपरी कपड़े उतारकर प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया कि अब उनके पास खोने को कुछ नहीं बचा है। यह दृश्य इतना मार्मिक था कि मौके पर मौजूद कई पत्रकार भी भावुक हो उठे और उनकी आंखें नम हो गईं। पत्रकारों ने एक स्वर में भरोसा दिलाया कि वे इस मुद्दे को दबने नहीं देंगे और पूर्व सैनिकों की यह आवाज़ देश-दुनिया तक पहुंचाएंगे। पूर्व सैनिकों ने यह भी बताया कि दाभोल/एनटीपीसी मुख्यालय के सामने प्रस्तावित कार्यक्रम में भी पत्रकारों ने उपस्थित रहने और आंदोलन को पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है।

पूर्व सैनिक लक्ष्मण महाडिक ने कहा कि 24 साल किसी भी व्यक्ति के जीवन का बड़ा हिस्सा होते हैं।
“हमने सेवा दी, लेकिन बदले में सिर्फ टालमटोल मिली। अब सब्र खत्म हो चुका है।”
सूर्यकांत पवार ने कहा कि यह मामला भावनात्मक नहीं, बल्कि पूरी तरह दस्तावेज़ों पर आधारित है।
“हमने आज सारे रिकॉर्ड मीडिया के सामने रख दिए हैं। अब जवाबदेही तय होनी चाहिए।”
पूर्व सैनिक आर. जी. पवार ने सवाल उठाया कि देश के लिए काम करने वाले सैनिक आखिर किस हाल में पहुंच गए हैं। हर युद्ध जीतने वाले सैनिक आज रोटी, कपड़ा और दवा के लिए जूझ रहे हैं।
वी. एस. सालुंखे ने साफ चेतावनी दी कि अब संघर्ष टालना संभव नहीं है।
“हम सभी संवैधानिक रास्ते अपना चुके हैं। अब न्याय मिलेगा या आंदोलन तेज होगा।”
प्रेस वार्ता के दौरान सुरेश पचपुटे ने मीडिया से अपील की कि इस मुद्दे को दबने न दिया जाए।
“अगर आज भी आवाज नहीं उठी, तो यह संदेश जाएगा कि सैनिकों के अधिकारों की कोई अहमियत नहीं है।”
चंद्रकांत शिंदे ने कहा कि यह लड़ाई अब सिर्फ 96 लोगों तक सीमित नहीं रही, बल्कि 96 परिवारों के भविष्य का सवाल बन चुकी है।
वहीं विजय निकम ने आगे की रणनीति स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो दाभोल/एनटीपीसी मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।
पूर्व सैनिकों ने दोहराया कि वे शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन 24 वर्षों की लगातार उपेक्षा ने उन्हें निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।