पुणे: वैश्विक तापमान और पर्यावरणीय क्षरण से देश के समक्ष चुनौती पैदा होने का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आईटी पेशेवरों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग करना भारतीय परंपरा नहीं है। मोदी ने कहा, ‘‘यह सही है कि वैश्विक तापमान और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और यह समस्या दिन-प्रतिदिन स्पष्ट होती जा रही है। इसके कारण प्राकृतिक संसाधनों को बचाना हमारी जिम्मेदारी है।’’ एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम जो भी कर रहे हैं (प्राकृतिक जल संसाधनों का दोहन करके) वह हमारी परंपरा और संस्कृति नहीं है और यह एक बुरी आदत है जो हमने (दूसरे से) उधार लिया है।’’ पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के सिद्धेश भोबे ने प्रधानमंत्री से पूछा था कि मोदी की दृष्टि में किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने में आईटी उद्योग किस तरह हिस्सा बन सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्षा जल संचयन भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दुर्भाग्य से कई सालों से हमने उस चीज को बंद कर दिया है और वर्तमान हालत पैदा की है।’’