कांग्रेस ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI ) निदेशक आलोक वर्मा के मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रशंसा करते हुये इसे सच की जीत करार दिया है। वर्मा ने खुद को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने और सारे अधिकार वापस लेने के सरकार के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि “मोहरों” के जरिए सीबीआई को हथियाने का सरकार का “कुटिल प्रयास” औंधे मुंह गिर गया है। वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को जांच पूरी करने के लिए दो सप्ताह का समय दिये जाने के बाद अपनी बात रख रहे थे। इस मामले में शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा है कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए एम. नागेश्वर राव कोई नीतिगत फैसला नहीं करेंगे।
सुरजेवाला ने टि्वटर पर कहा, “सुप्रीम कोर्ट में सच बहाल हुआ, मोदी सरकार का सीबीआई को हथियाने का कुत्सित प्रयास औंधे मुंह गिर गया है। यह उनके चेहरे पर तमाचा है जो सीबीआई की स्वतंत्रता में अंतिम कील ठोंकना चाहते थे। सीवीसी सरकार के मोहरे की तरह काम नहीं कर सकता बल्कि उसे उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश की देखरेख में काम करना होगा।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि आयोग की जांच शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायधीश की देखरेख में होगा। वर्मा ने उनके कर्तव्यों के निर्वहन करने से रोकने और छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। न्यायालय ने इस मामले में अयोग और केंद्र से भी जवाब मांगा है।
सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के अंतरिम निदेशक से रोजमर्रा के कामकाज के अलावा सारी शक्तियां ले ली गई हैं। यह फेल हो चुकी सरकार पर टिप्पणी है। उन्होंने कहा, “आज, मोदी को एक बार फिर याद दिलाया गया कि “मोदी राज”, “कानून के शासन” के सामने बुरी तरह फेल हो गया। संस्थानों को कब्जाने, हस्तक्षेप और दखलअंदाजी के दुष्प्रयास खत्म हो जायेंगे। भारत के लोग अब 2109 में आपको याद दिलायेंगे कि खराब सरकारों को बदलने की तारीख आ चुकी हैा”
सुरजेवाला ने तंज कसते हुये कहा, मोदीजी, इतिहास कभी नहीं भूलेगा कि आपने किस तरह दो प्रमुख संस्थानों की प्रतिष्ठा को धूमिल किया, सीबीआई और सीवीसी। “अपवाद” के रूप में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सीवीसी की जांच की निगरानी उसके एक सेवानिवृत्त न्यायधीश करेंगे।