नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और विधानसभा चुनावों के बीच अब राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़े हुए है। वहीं, दूसरी तरफ हिन्दू संगठनों और संतों द्वारा सरकार पर कानून बनाने के लिए दबाव देखा जा रहा था लेकिन एक खबर ये भी है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने साफ कर दिया कि वह जनवरी में होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार करेंगे।
क्या दर्शाता है शाह का बयान
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि वह जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले में होने वाली सुनवाई का इंतजार करेंगे। हालांकि, उनका यह बयान यह दर्शा रहा है कि भाजपा अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने को लेकर अभी तक कोई अध्यादेश बनाने की ओर नहीं बढ़ रही है। वहीं, शाह ने उम्मीद जताते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आएगा, जिसका जनता बेसब्री के इंतजार कर रही है।
राम मंदिर मामले में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर मामले में आखिरकार चुप्पी तोड़ ही दी। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के जजों को डराने का प्रयास कर महाभियोग ला चुके हैं। उन्होंने न्यायतंत्र को डराने का प्रयास किया है लेकिन लोकतंत्र उनसे नहीं डरने वाला है। इसी के साथ पीएम मोदी ने कहा कि जातिवाद के जहर को कांग्रेस आज भी छोड़ नहीं पाई है। मोदी ने राजस्थान के अलवर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के बडे़ वकीलों को राज्यसभा का सदस्य बनाती है और वे सदस्य उन न्यायाधीशों को महाभियोग के नाम से डराने का नया खेल खेल रहे हैं जो न्यायाधीश उनके राजनैतिक इरादों के अनुसार कार्य नहीं करते।
राम मंदिर मामले के साथ अगर इन बयानों को जोड़ा जाए तो अमित शाह और पीएम मोदी का बयान जनता को भ्रमित करने वाला दिखाई दे रहा है क्योंकि एक तरफ जहां शाह का बयान यह दर्शा रहा है कि अध्यादेश की तरफ सरकार नहीं बढ़ रही है। वहीं, नरेंद्र मोदी का बयान यह दर्शा रहा है कि वह कांग्रेस को लोकतंत्र के साथ खेलने नहीं देगी। जिसका मतलब यह लगाया जा रहा है कि संसद में कांग्रेस से बीजेपी नहीं डरने वाली और यह अध्यादेश की तरफ एक इशारा भी है।
मंदिर को लेकर सख्त हुए मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत अब राम मंदिर निर्माण मामले को सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया और कहा कि सरकार सोचे कि मंदिर के लिए कानून कैसे लाया जा सकता है। वीएचपी की हुंकार रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि अब धैर्य नहीं निर्णायक आंदोलन का वक्त आ गया है। इसी के साथ उन्होंने न्यायपालिका पर निशाना साधते हुए कहा कि न्यायपूर्ण बात यही होगी कि जल्द मंदिर बने, लेकिन यह कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है तो सरकार सोचे कि मंदिर बनाने के लिए कानून कैसे आ सकता है।
योगी का राम प्रेमियों को खुश करने का प्रयास
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बात कर रही जनता को खुश करने के लिए योगी आदित्यनाथ ने भगवान राम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति को हरी झंडी दिखा दी है। दरअसल, प्रतिमा की ऊंचाई तो 151 मीटर ही रहेगी इसके अतिरिक्त मूर्ति में पैडेस्टल (50 मी) और छत्र (20 मी) भी दिखाई देगा। यह मूर्ति सरयू नदी के तट पर लगाई जाएगी। इसे योगी आदित्यनाथ के उस बयान से जोड़ा गया जब उन्होंने कहा था कि दिवाली के वक्त अयोध्या में खुशखबरी लेकर पहुंचेंगे। हालांकि, उन्होंने मूर्ति का ऐलान कर दिया था और अब हरी झंडी भी दिखा दी।
चुनावों से पहले मंदिर मामले में जनता का मूड
प्रभासाक्षी की टीम जब चुनावी राज्यों में से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पहुंची और जनता से बातचीत की तो जनता की सिर्फ एक ही मांग दिखी वो थी मंदिर अब बन जाना चाहिए। जनता को इस बात से फर्क नहीं पड़ रहा था कि कौन सा नेता क्या बयान दे रहा है वह सिर्फ इतना चाहती है कि अब हिन्दुस्तान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस पार्टी ने मंदिर मुद्दे के दम पर ही सरकार बनाई थी तो अब राम मंदिर के निर्माण का कार्य भी जल्द से जल्द बीजेपी शुरू कराए, चाहे इसके लिए उसे अध्यादेश ही क्यों न लाना पड़े।