
साहित्य प्रेमियों, संस्कृति अनुरागियों और कला साधकों के लिए यह शाम न सिर्फ एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि एक भव्य उत्सव थी भारतीय साहित्य और सांस्कृतिक चेतना की।
‘महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन’ और ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘निरंतर नीरज श्रृंखला 2025’ का सातवां संस्करण राजधानी के हृदय स्थल पर अपनी भव्यता और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। यह आयोजन न केवल अतीत के गौरवशाली साहित्यिक योगदान को स्मरण करने का अवसर था, बल्कि समकालीन कला और साहित्य के सितारों को मंच पर सम्मानित करने का जीवंत उदाहरण भी बन गया। इस पूरे समारोह में साहित्य, संगीत और संवेदना की त्रिवेणी प्रवाहित हुई जिसने उपस्थित दर्शकों के हृदय को आलोकित कर दिया।
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‘नीरज सम्मान 2025’ से सम्मानित हुए बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रसून जोशी
साहित्य और सिनेमा, दोनों ही संसार में अपनी रचनात्मकता की अमिट छाप छोड़ने वाले विख्यात गीतकार, पटकथा लेखक एवं वर्तमान सेंसर बोर्ड (CBFC) अध्यक्ष प्रसून जोशी को इस वर्ष का प्रतिष्ठित ‘नीरज सम्मान 2025’ प्रदान किया गया। समारोह स्थल तालियों की गड़गड़ाहट और भावुकता की गूंज से गुंजायमान हो उठा जब प्रसून जोशी ने मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस गरिमामयी सम्मान को और भी विशिष्ट बनाया उन प्रतिष्ठित विभूतियों की उपस्थिति ने जिन्होंने स्वयं भारतीय कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है — जाने-माने फिल्म निर्माता बोनी कपूर, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी, प्रसिद्ध गीतकार समीऱ अंजान, हास्य रस सम्राट सुरेन्द्र शर्मा, भारत एक्सप्रेस न्यूज़ चैनल के चेयरमैन उपेन्द्र राय, यूएई के प्रमुख उद्योगपति और समाजसेवी मुसर्रफ अली खान, एवं नीरज परिवार के प्रतिनिधि मृगांक नीरज और शशांक नीरज की उपस्थिति ने आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष इस सम्मान से हिंदी सिनेमा के महान गीतकार जावेद अख्तर को नवाजा गया था और इस बार की घोषणा ने साहित्य जगत में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया था।
🎙️ काव्य की अविरल धारा — भावनाओं और सुरों का संगम
‘निरंतर नीरज श्रृंखला’ अपने शानदार काव्य पाठ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए प्रसिद्ध रही है और इस बार का आयोजन भी इससे अछूता नहीं रहा। मंच पर देश के कोने-कोने से आए चयनित कवियों ने अपनी अद्भुत रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

डॉ. सरिता सागर की संवेदनशील रचनाएं, पवन आगरी की तेजस्विता से भरी पंक्तियां, शरीफ भारती के व्यंग्य की धार और महेश श्रीवास्तव की ओजस्वी प्रस्तुति ने पूरे समारोह को साहित्यिक उत्कर्ष के शिखर पर पहुंचा दिया।
आयोजन की शोभा बढ़ाने पहुंचे कला और समाजसेवा के अन्य दिग्गजों में समाजसेवी मानेक शाह, लोकप्रिय गायिका शिबानी कश्यप, मशहूर अभिनेत्री इंद्राणी पांधी, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि प्रोफेसर अफज़ल मंगौलपुरी, प्रशासनिक सेवा के चर्चित अधिकारी डॉ. हरिओम (आईएएस) और दुर्गादत्त गौर प्रमुख रहे, जिनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक अंतरराष्ट्रीय रंग प्रदान किया।
शब्दों का जादू बिखेरते मंच संचालक डॉ. शिव ओम अंबर
पूरे आयोजन का संचालन सुप्रसिद्ध कवि और मंच संचालक डॉ. शिव ओम अंबर ने अपने विशिष्ट अंदाज़ में किया। उनके तेजस्वी और प्रवाहमयी शब्दों ने न केवल श्रोताओं को बांधे रखा बल्कि पूरे समारोह में जान डाल दी। प्रत्येक आमंत्रित अतिथि का परिचय, प्रत्येक सम्मान की घोषणा, और हर काव्य प्रस्तुति का स्वागत उनके शब्दों से सजीव हो उठा।
अनेक विभूतियों को मिला विशेष सम्मान, समाजसेवा और कला जगत का अभिनंदन
‘नीरज सम्मान’ के अतिरिक्त समाज के विविध क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों को भी विशेष सम्मान से नवाजा गया। इनमें शुभारती विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. अतुल कृष्ण, लोकप्रिय अभिनेत्री इंद्राणी पांधी, चर्चित गायिका शिबानी कश्यप तथा समाजसेवी मानेक शाह जैसे व्यक्तित्व शामिल रहे।

महाकवि नीरज की कालजयी विरासत को समर्पित साहित्यिक महायज्ञ
पूरे समारोह के केंद्र में थे महाकवि गोपालदास नीरज जिनकी लेखनी और जिनके गीत आज भी जनमानस में उसी ऊर्जा और प्रेम के साथ जीवित हैं। उनके कालजयी गीतों की झलक कार्यक्रम के हर क्षण में देखने को मिली।
उनके शब्दों में —
“जीवन की डोर थाम कर चलना… गीत गुनगुनाना मत छोड़ना…” —
यह संदेश पूरे आयोजन में गूंजता रहा।
‘निरंतर नीरज श्रृंखला’ बनी साहित्य और समाज का सेतु
निरंतर नीरज श्रृंखला का यह सातवां संस्करण साबित कर गया कि साहित्य और संस्कृति समाज की आत्मा हैं। महाकवि नीरज की प्रेरणा से यह श्रृंखला केवल सम्मान का मंच नहीं है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए साहित्यिक चेतना का दीपक भी है।
नीरज फाउंडेशन के प्रतिनिधि मृगांक नीरज, शशांक नीरज और रवि कुमार की अथक मेहनत और समर्पण के चलते यह कार्यक्रम साल दर साल नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
“नीरज का नाम, अमर साहित्य का प्रमाण — नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का महासमर”
साहित्य की यह दिव्य संध्या एक ऐतिहासिक अध्याय बनकर भारतीय साहित्यिक धरोहर में स्वर्णाक्षरों से अंकित हो गई।