मुंबई। शिवसेना ने बृहस्पतिवार को एक बार फिर अपनी वरिष्ठ गठबंधन सहयोगी भाजपा के खिलाफ तेवर कड़े करते हुए कहा कि विधानसभा चुनावों में भगवा पार्टी की हार अन्याय और असत्य की हार है। शिवसेना का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जैसे दिग्गजों के साथ साथ उनके कार्यकर्ताओं का भी ‘कांग्रेसमुक्त हिंदुस्तान’ का नारा लगाते हुए गला सूख गया था। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की हर दिन करारी आलोचना की जाती थी। पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है, ‘‘बहरहाल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें उनके घर में घुस कर पराजित किया है। यह अन्याय और असत्य की हार है। गर्व धूल-धूसरित हुआ और अहंकार चूर हुआ है।’’ तंज कसते हुए शिवसेना ने लिखा है, ‘‘हार के साथ जीत को भी नम्रता से स्वीकारना ही हमारी संस्कृति है। परंतु 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद यह संस्कृति नष्ट हो गई थी।’’ गौरतलब है कि हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा ने हिन्दी पट्टी के तीन बड़े राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में अपनी सत्ता कांग्रेस के हाथों गंवा दी है। शिवसेना का कहना है, ‘‘जिन्होंने पार्टी को खड़ा किया वे हाशिये पर चले गए। जिन मित्रों ने संकट के समय साथ दिया वे शत्रु ठहराए गए। जिस जनता ने आपको जमीन से उठा कर शिखर पर पहुंचाया, वही जनता आज बदहाल है। वे (भाजपा) एक भी राज्य में जीत हासिल नहीं कर सके क्योंकि जनता को व्यापारी नहीं चाहिए।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रत्यक्ष हमला बोलते हुए ‘सामना’ ने लिखा है, ‘‘हर राज्य में प्रधानमंत्री ने दर्जनों रैलियां कीं और राहुल गांधी पर तीखा प्रहार किया। यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति कितने नीचे जा सकता है।’’ संपादकीय में लिखा है कि मोदी के, पराजय स्वीकार करने में भी अहंकार नजर आया क्योंकि उन्होंने जीत को लेकर गांधी को बधाई तक नहीं दी। भाजपा की हार का जिम्मा उन पर डाला जाना चाहिए क्योंकि उनका पूरा मंत्रिमंडल चुनाव प्रचार में जुटा था। केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने कांग्रेस अध्यक्ष की तारीफ करते हुए कहा है कि राहुल गांधी ने विनम्रता से जीत को स्वीकार किया है। भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का उन्होंने आभार भी जताया। मोदी तो राष्ट्र के निर्माण में (पूर्व प्रधानमंत्रियों और कांग्रेस के दिवंगत नेताओं) पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का योगदान मानने को तैयार नहीं हैं। शिवसेना ने कहा, ‘‘यहां तक कि वह तो भाजपा का निर्माण करने वाले (वरिष्ठ नेता) लालकृष्ण आडवाणी को तक स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।’’ संपादकीय में शिवसेना ने सवाल किया है ‘‘इस तूफान का सामना राहुल गांधी ने कैसे किया ? इतनी चोटों के बावजूद लोकतंत्र कैसे बच गया ? एक ही जवाब है – विनम्रता से। चुनाव के नतीजे एक सबक हैं। लेकिन क्या कोई इस सबक से सीखना चाहता है?’’ शिवसेना ने बुधवार को भी चुनाव में हार के लिए भाजपा पर तंज कसते हुए कथित तौर पर कहा था कि हवा में उड़ने वालों को जनता ने जमीन पर उतार दिया।